कोरोना वैक्सीन: झारखंड और छत्तीसगढ़ में प्रत्येक तीन खुराकों में से एक हो रही बर्बाद
कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे मेगा वैक्सीनेशन अभियान में इस समय सबसे बड़ा संकट वैक्सीनों की कमी का है। वैक्सीनों की कमी के कारण कई राज्यों में अभियान की रफ्तार थम गई है तो कुछ राज्यों में वैक्सीनेशन भी रोकना पड़ा है। इन सबके बीच झारखंड और छत्तीसगढ़ में वैक्सीनों की बर्बादी बदस्तूर जारी है। इन दोनों राज्यों में प्रत्येक तीन में एक खुराक बर्बाद हो रही है और ये दोनों राज्य वैक्सीन की बर्बादी में शीर्ष पर हैं।
वैक्सीन की कमी के कारण कई राज्यों में रोकना पड़ा है अभियान
बता दें कि 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के वैक्सीन लगाने की शुरुआत के बाद से राज्यों को वैक्सीन की कमी से जूझना पड़ रहा है। हालात यह है कि अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में 18-44 साल आयु वर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन रोक दिया गया है। इसी तरह वैक्सीन की कमी के कारण तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी में अभी इस आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन ही शुरू नहीं हो पाया है।
झारखंड में बर्बाद हो रही सबसे ज्यादा वैक्सीन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस समय देश में वैक्सीन की सबसे ज्यादा बर्बादी झारखंड में हो रही है। यहां अब तक 37.3 प्रतिशत वैक्सीन की खुराक बर्बाद हो चुकी है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 30.2 प्रतिशत खुराकें बर्बाद हो चुकी है। इस हिसाब से दोनों राज्यों में प्रत्येक तीन खुराक में एक खुराक बर्बाद हो रही है। इसी बर्बादी के कारण दोनों राज्यों को वैक्सीन की कमी से जूझना पड़ रहा है।
वैक्सीन की बर्बादी के मामले में तीसरे नंबर पर है तमिलनाडु
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वैक्सीन की बर्बादी करने में तमिलनाडु तीसरे नंबर पर काबिज है। यहां अब तक 15.5 प्रतिशत खुराकें बर्बाद हो चुकी है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में 10.8 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 10.7 प्रतिशत वैक्सीन की खुराकें बर्बाद हुई है। ऐसे में इन राज्यों को वैक्सीनेशन अभियान को सुचारू रूप से चलाने में समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही लोगों को समय पर वैक्सीन नहीं मिल रही है।
देशभर में अब तक बर्बाद हुई 6.3 प्रतिशत वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वैक्सीनेशन अभियान के शुरू होने से अब तक देशभर में 6.3 प्रतिशत वैक्सीन की खुराकें बर्बाद हुई है। यह बर्बादी के मानक प्रतिशत के आस-पास ही है, लेकिन कई राज्यों में इससे पांच गुना से अधिक वैक्सीन बर्बाद हो रही है।
वैक्सीन की अधिक बर्बादी है चिंता का कारण- स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वैक्सीन की बड़े पैमाने पर बर्बादी चिंता का कारण है। बड़े वैक्सीनेशन अभियान में वैक्सीन की बर्बादी का विशेष ध्यान रखा जाता है और इसके आधार पर ही खरीद और वितरण किया जाता है। इसी आंकड़े के हिसाब से वैक्सीनेशन की दर तय होती है। इसका एक सुनिश्चित फार्मूला है कि किसी राज्य को हर महीने कितनी वैक्सीन देनी है वहां की आबादी के हिसाब से खुराकों की गणना की जाती है।
क्या है वैक्सीन की बर्बादी के कारण?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वैक्सीन की बर्बादी के दो महत्वपूर्ण कारण हैं। पहला बिना खुली शीशियों का एक्सपायर होना या फिर अधिक गर्मी और ठंड के कारण बर्बाद होना या फिर चोरी हो जाना। ऐसे शीशियों को वापस भेजा जाता है। इसके उलट खुली शीशी में वैक्सीन की बर्बादी का प्रमुख कारण या तो पूरी खुराक नहीं देना, पर्याप्त संख्या में लोगों वैक्सीनेशन केंद्र न पहुंचना, खुली शीशी का पानी में गिरना या उसके संक्रमित होने की आशंका प्रमुख है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से की वैक्सीन की बर्बादी रोकने की अपील
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन की अधिक बर्बादी से वैक्सीनेशन अभियान बाधित होता है। इसके अलावा जरूरतमंदों को समय पर वैक्सीन नहीं मिल पाताी है। इसके पीछे एक प्रमुख कारण वैक्सीनेशन कर्मचारियों का पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं होना भी है। ऐसे में कर्मचारियों को वैक्सीन के उपयोग को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों से वैक्सीन की बर्बादी को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील भी की है।
क्या है देश में वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 20,06,62,456 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन मात्र 20,39,087 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।