कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचे आठ चीते, प्रधानमंत्री मोदी ने किया पिंजरों से आजाद
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 72वें जन्मदिन के मौके पर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से आए आठ चीतों को पिंजरों से आजाद कर दिया है।
आज सुबह लगभग 8 बजे इन चीतों को लाने वाला विशेष विमान ग्वालियर पहुंचा था, जहां से इन्हें वायुसेना के हेलिकॉप्टर के जरिये राष्ट्रीय उद्यान पहुंचाया गया।
ग्वालियर हवाई अड्डे पर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद थे और उनकी देखरेख में चीतों को हेलिकॉप्टर में सवार किया गया।
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भारत में 1952 में विलुप्त घोषित कर दिए गए थे चीते
भारत में साल 1948 में आखिरी बार चीते देखने को मिले थे, लेकिन उसके बाद चीते नजर नहीं आए और फिर 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
चीतों को दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर माना जाता है और जंगली बिल्ली की श्रेणी में आता है।
सरकार ने 1970 के दशक में ऐतिहासिक श्रेणियों में शामिल जानवरों की प्रजातियों को फिर से देश में स्थापित करने की योजना बनाकर नामीबिया से एक करार किया था।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखिये चीतों को पिंजरों से आजाद करने का वीडियो
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi releases the cheetahs that were brought from Namibia this morning, at their new home Kuno National Park in Madhya Pradesh.
— ANI (@ANI) September 17, 2022
(Source: DD) pic.twitter.com/CigiwoSV3v
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भारत आए चीतों में पांच मादा और तीन नर शामिल
नामीबिया से किए करार में चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम शामिल था। ऐसे में सरकार ने वहां से आठ चीते लाने का निर्णय लिया था।
पहले अंतरमहाद्वीपीय मिशन के हिस्से के रूप में लाए गए इन आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर चीते शामिल हैं।
इन चीतों नामीबिया की राजधानी विंडहोक से बोइंग के विशेष 747-400 कार्गो विमान में ग्वालियर लाया गया।
अब इन्हें 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ दिया गया है।
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कितनी है इन चीतों की उम्र?
नामीबिया स्थित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन चीता संरक्षण कोष (CCF) के अनुसार, भारत लाए गए आठ चीतों में से तीन नर चीतों की उम्र 4.5 से 5.5 साल के बीच है और पांच मादा चीतों की उम्र दो से पांच साल के बीच है।
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फिलहाल क्वारंटीन में रहेंगे चीते
इन चीतों को फिलहाल कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नहीं छोड़ा गया है। अभी एक महीने के लिए इन्हें क्वारंटीन जोन में रखा जाएगा।
मध्य प्रदेश एक अधिकारी ने बताया कि एक महीने के दौरान ये चीते अपने-अपने जोन में रहेंगे और शिकार नहीं कर सकेंगे। इन्हें हर दूसरे-तीसरे दिन भैंसे का मीट दिया जाएगा। एक महीने बाद इन्हें 500 हेक्टेयर वाले जोन में भेजा जाएगा, जहां ये एक-दूसरे के करीब रह सकेंगे। जरूरत पड़ने पर इन्हें अलग किया जाएगा।
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कांग्रेस ने ठोका प्रोजेक्ट चीता पर दावा
कांग्रेस ने दावा किया कि प्रोजेक्ट चीता को मनमोहन सिंह सरकार के समय मंजूरी मिली थी।
पार्टी ने ट्वीट किया कि प्रोजेक्ट चीता को मनमोहन सिंह जी की सरकार ने स्वीकृति दी थी और अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।'
कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस प्रोजेक्ट पर रोक लगने के कारण तब चीता नहीं आ पाए थे।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखिये कांग्रेस का ट्वीट
'प्रोजेक्ट चीता' का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ।
— Congress (@INCIndia) September 16, 2022
मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी।
अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री @Jairam_Ramesh जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी।
अब चीते आएंगे pic.twitter.com/W1oBZ950Pz