क्या है ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री और यह सामान्य डिजिटल डिग्री से कैसे अलग है?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT), राउरकेला 13 अगस्त को आयोजित अपने 19वें दीक्षांत समारोह में लगभग 1,500 छात्रों को ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री प्रदान करने वाला पहला NIT बना। इन डिग्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से प्रस्तावित राष्ट्रीय ब्लॉकचेन परियोजना के तहत IIT कानपुर के C3i इनोवेशन हब की मदद से विकसित किया गया था। आइए जानते हैं कि NIT राउरकेला में छात्रों को प्रदान की गई ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री क्या है।
ब्लॉकचेन डिग्री क्या है?
लाखों कंप्यूटरों को जिस प्रकार आपस में जोड़कर इंटरनेट का अविष्कार हुआ, ठीक उसी प्रकार डाटा की लंबी श्रृंखला को जोड़कर उसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है। ब्लॉकचेन तकनीक के तहत प्रमाणपत्रों को किसी ऐसी सुरक्षित जगह पर रखा जाता है जहां पर उस दस्तावेज के धारक की अनुमति के बिना उसका प्रयोग या सत्यापन नहीं किया जा सकता है। ब्लॉकचेन आधारित डिग्री तक पहुंचने के लिए उम्मीदवार को दो चरण की वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
छात्रों की डिग्री का सत्यापन होगा आसान
ब्लॉकचेन प्रणाली के अंतर्गत डिग्री का नियंत्रण किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं, बल्कि एक वितरित नेटवर्क पर होता है। NIT राउरकेला की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि यह डिजिटल वॉलेट सुरक्षित और छेड़छाड़ रहित है जिसे छात्र अपने संभावित नियोक्ताओं (नौकरी देने वाली कंपनियों) के साथ साझा कर सकते हैं। इसका तुरंत सत्यापित करना भी आसान होगा और किसी भी डिग्री के सत्यापन में लगने वाले दो से तीन सप्ताह के समय की बचत होगी।
सूचनाओं को बहुत सुरक्षित तरीके से संग्रहित करती है ब्लॉकचेन तकनीक
इस पर अधिक जानकारी देते हुए NIT राउरकेला में कंप्यूटर और सूचना विज्ञान केंद्र (CIC) के प्रमुख प्रो मनीष ओकाडे कहते हैं कि ब्लॉकचेन एक बहीखाता की तरह है जो सूचनाओं को डिजिटल रूप से बहुत सुरक्षित तरीके से संग्रहित करता है। वह आगे बताते हैं कि चूंकि डाटा को एक जगह स्टोर नहीं किया जाता है, इसलिए कोई भी इस सिस्टम से छेड़छाड़ या हैक नहीं कर सकता है।
ब्लॉकचेन में एक बार दर्ज की गई कोई भी जानकारी मिटाई नहीं जा सकती
नेशनल ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट के सह-संस्थापक और IIT कानपुर के पूर्व उप निदेशक प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल कहते हैं, "ब्लॉकचेन सूचना के लिए एक ऐसे बहीखाता के तौर पर काम करता है जिसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। ब्लॉकचेन में एक बार दर्ज की गई कोई भी जानकारी मिटाई नहीं जा सकती।" वह कहते हैं कि ब्लॉकचेन संचालित दस्तावेज केवल पढ़ने के लिए हैं, इसलिए छात्र भी मूल दस्तावेजों में कोई परिवर्तन नहीं कर सकते हैं।
ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री और सामान्य डिजिटल डिग्री में अंतर क्या है?
ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म डिजिटल दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से संग्रहित करने में सहायक है और डिजिलॉकर ऐप की तरह सिर्फ व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं बना है। डिजिलॉकर ऐप में नियोक्ता किसी उम्मीदवार की डिग्री का सत्यापन नहीं कर सकता है, लेकिन ब्लॉकचेन आधारित डिग्री का सत्यापन किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी नियोक्ता के लिए डिग्री का सत्यापन करना तब तक संभव नहीं होगा जब तक उसके लिए सत्यापन का अनुरोध न किया जाए।
ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री डाउनलोड करने के दौरान होगा वेरिफिकेशन
ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल डिग्री डाउनलोड करने के दौरान पहले उम्मीदवार के मोबाइल नंबर पर एक OTP प्राप्त होगा, जो उसकी ईमेल आईडी पर भी भेजा जाएगा। इसके बाद ही कोई व्यक्ति निर्धारित पोर्टल से डिग्री को डाउनलोड कर सकता है। इसके अलावा यह डिग्रियां एक PDF फाइल के रूप में डाउनलोड करने के लिए भी उपलब्ध होंगी जिन्हें विश्व में कहीं से भी देखा जा सकता है।
अन्य क्षेत्र में भी हो रहा ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग
बता दें कि ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से कर्नाटक में भूमि और संपत्ति के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने की कोशिश हो रही है जिसमें केवल खरीदार और विक्रेता के पास दस्तावेज की पहुंच होगी। प्रोफेसर ओकाडे इसे वर्चुअल हैंडशेक (हाथ मिलाना) के समान बताते हैं। वह कहते हैं, "यह तकनीक घोटालों और वित्तीय धोखाधड़ी को बहुत कम करेगी। जहां कहीं भी किसी प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है, इसका उपयोग किया जा सकता है।"