प्रधानमंत्री मोदी की मिस्र यात्रा क्यों है खास; किन लोगों से मिलेंगे और क्या है शेड्यूल?
क्या है खबर?
अमेरिका की सफल यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 दिवसीय मिस्र यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं। बतौर प्रधानमंत्री यह उनकी पहली मिस्र यात्रा है।
दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से इस यात्रा को भी अहम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और लगभग 1,000 साल पुरानी अल-हाकीम मस्जिद का दौरा भी करेंगे।
आइये यात्रा से जुड़ी सभी जरूरी बातें जानते हैं।
शेड्यूल
कैसा रहेगा पहले दिन का शेड्यूल?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी 24 जून को भारतीय समयानुसार शाम करीब 5 बजे मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचेंगे। यहां पर शाम 7:40 बजे मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मब्दुली के साथ उनकी बैठक होगी।
रात 8:40 बजे प्रधानमंत्री भारतीय मूल के लोगों संबोधित करेंगे। रात 9:20 बजे वे मिस्र के मुख्य मुफ्ती से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वे अलग-अलग विचारकों से भी मिलेंगे।
बता दें कि 1997 के बाद ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा है।
दूसरा दिन
दूसरे दिन का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री 25 जून को दोपहर 12 बजे अल-हाकीम मस्जिद का दौरा करेंगे। यहां वे करीब आधे घंटे रहेंगे। यह काहिरा की दूसरी सबसे बड़ी और चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है।
इसके बाद दोपहर 1 बजे वे हेलिओपोलिस युद्ध सीमेटरी जाएंगे और प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए 4,000 भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देंगे।
दोपहर 1:30 बजे वे मिस्र के राष्ट्रपति भवन जाएंगे और राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। शाम 5:30 बजे वे भारत के लिए रवाना होंगे।
समझौते
किन समझौतों पर हो सकते हैं हस्ताक्षर?
मिस्र के राजदूत वेल मोहम्मद अवद हमीद ने कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन के अलावा स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र के भीतर भारत के लिए एक समर्पित स्लॉट पर भी चर्चा होगी।
इसके अलावा ग्रीन हाइड्रोजन और पर्यटन में भारतीय निवेश की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यात्रा के दौरान कृषि, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों, सूचना प्रौद्योगिकी, व्यापार संवर्धन और संस्कृति पर 4 या 5 समझौते हो सकते हैं।
अहम
कितनी अहम है यात्रा?
मिस्र पारंपरिक रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
इजिप्टियन सेंट्रल एजेंसी फॉर पब्लिक मोबिलाइजेशन एंड स्टैटिस्टिक्स (CAPMAS) के अनुसार, भारत-मिस्र द्विपक्षीय व्यापार समझौता मार्च 1978 से लागू है और यह मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज पर आधारित है।
दोनों देशों की सेनाओं ने जनवरी, 2023 में पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया था। अप्रैल से दिसंबर, 2022 के दौरान भारत मिस्र का 5वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
गेमचेंजर
मिस्त्र के राजदूत ने यात्रा को गेमचेंजर बताया
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए मिस्र के राजदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों के लिए गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, "किसी भारतीय प्रधानमंत्री की आखिरी मिस्र यात्रा 1997 में हुई थी। उस समय मिस्र और भारत में एक अलग नेतृत्व था। मेरे लिए यह देखना बहुत निराशाजनक था कि मिस्र-भारत संबंध उसी गति के साथ जारी नहीं रहे, जो 1950 और 1960 के दशक में थे।"
रिश्ते
कैसे रहे हैं भारत-मिस्र के रिश्ते?
दोनों देशों के बीच राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंधों की स्थापना 18 अगस्त, 1947 को की गई थी। उसके बाद से ही सैन्य, व्यापार और आर्थिक मोर्चे पर दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होते गए हैं।
पिछले 10 सालों में दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5 गुना से ज्यादा बढ़ गया है।
भारतीय वायुसेना मिस्र की वायुसेना के पायलट्स को 1960 से 1984 तक ट्रेनिंग भी देती रही है।
अब तक 4 भारतीय प्रधानमंत्री मिस्र की यात्रा कर चुके हैं।
अतिथि
गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि थे मिस्र के राष्ट्रपति
2023 के गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति को भारत ने बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था। यह उनकी दूसरी भारत यात्रा थी।
इसी यात्रा के दौरान ही सीसी ने प्रधानमंत्री मोदी को मिस्र आने के न्योता दिया था। इस दौरान दोनों देशों के बीच 5 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे।
भारत ने इस साल सितंबर में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में मिस्र को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है।