निजता बिल: किसी भी एजेंसी को निजी डाटा इकट्ठा करने का अधिकार दे सकेगी केंद्र सरकार
आज केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद लोकसभा में निजी डाटा सुरक्षा बिल को पेश करेंगे। इसमें सरकार को नागरिकों का निजी डाटा इकट्ठा करने के व्यापक अधिकार दिए गए हैं। ये बिल के पहले के एक मसौदे के खिलाफ है जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कुछ ही मामलों में सरकार को नागरिकों का निजी डाटा इकट्ठा करने का अधिकार दिया गया था। बिल में सरकार को कुछ प्रकार के निजी डाटा को विदेश में रखने का प्रावधान भी किया गया है।
क्या है निजी डाटा सुरक्षा बिल?
निजी डाटा सुरक्षा बिल को आमतौर पर निजता बिल के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य निजी और व्यक्ति की पहचान उजागर करने वाले डाटा को इकट्ठा करने, उसके आदान-प्रदान और उपयोग को नियमित करके नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है। इस डाटा में मुख्यतौर पर सोशल मीडिया साइट्स और अन्य संस्थाओं के साथ साझा की गईं निजी जानकारियां शामिल है। नागरिकों के निजी डाटा के लीक होने और उसके दुरुपयोग के मद्देनजर ये बिल लाया गया है।
किसी भी एजेंसी को निजी डाटा इकट्ठा करने की इजाजत दे सकेगी सरकार
आज पेश होने वाले इस बिल में केंद्र सरकार को किसी भी एजेंसी को नागरिकों का निजी डाटा इकट्ठा करने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए उन्हें ये साबित करना होगा कि किसी भी अपराध को होने से रोकने के लिए ऐसा अनिवार्य है। इसके अलावा बिल में कुछ प्रकार के निजी डाटा को विदेश में रखने की इजाजत दी भी दी गई है और इसकी भारत में कॉपी रखना जरूरी नहीं होगा।
संवेदनशील डाटा को भारत में ही रखना अनिवार्य
हालांकि वित्त, स्वास्थ्य, सेक्सुअल ऑरिएटेंशन, बॉयोमैट्रिक, जेनेटिक, ट्रांसजेंडर स्टेटस, जाति और धार्मिक आस्था से संबंधित नागरिकों के निजी डाटा को भारत में ही रखा जा सकेगा और उसे विदेश भेजने की इजाजत नहीं होगी।
बिल के पहले के मसौदे के खिलाफ हैं नए प्रावधान
ये दोनों प्रावधान न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा द्वारा तैयार किए गए बिल के पहले के एक मसौदे के खिलाफ हैं। इस मसौदे में सरकार को केवल सुरक्षा, आपराधिक जांच और अपराध रोकने के मामलों में निजी डाटा इकट्ठा करने का अधिकार दिया गया था। इन मामलों में भी सरकार के हितों के लिए अनिवार्य होने पर निजी डाटा इकट्ठा करने की बात कही गई थी। हालांकि सरकार ने अपने नए बिल में इस सभी प्रावधानों को बदल दिया है।
निजी डाटा की चोरी पर होगी तीन साल की सजा
नए बिल में आधार नंबर को आधिकारिक पहचान पत्र नहीं माना गया है। आधिकारिक पहचान पत्र संवेदनशील निजी डाटा की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा निजी डाटा की चोरी और उसके दुरुपयोग को रोकने के प्रावधान भी किए गए हैं। इसके अनुसार, निजी डाटा चुराने पर जिम्मेदार कंपनी के अधिकारियों को तीन साल तक की सजा सुनाई जा सकती है। इसके अलावा कंपनी को 15 करोड़ रुपये या उसकी वैश्विक कमाई का दो प्रतिशत जुर्माना भी देना पड़ेगा।
सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स को देनी होगी डाटा डिलीट करने की सुविधा
सोशल मीडिया कंपनियों की बात करतें तो उन्हें अपने प्लेटफॉर्म से जुड़े उन यूजर्स की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करना होगा जो स्वेच्छा से अपनी पहचान बताने को तैयार हैं। यूजर्स का सत्यापन कराने का विकल्प देना होगा। लेकिन ये यूजर्स की स्वेच्छा पर होगा कि वह सत्यापन कराना चाहते हैं या नहीं। इसके अलावा यूजर्स को अपना डाटा मिटाने, सुधारने या कहीं और ले जाने का अधिकार होगा।