कोरोना वायरस: लॉकडाउन के बीच भूख-प्यास से जंग लड़ते हुए पैदल घर पहुंचने को मजबूर लोग
क्या है खबर?
चारों ओर पसरा सन्नाटा, चिलचिलाती धूप और सड़कों पर भूख-प्यास से जंग लड़ते हुए पैदल चलते लोग।
यह हालत है लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसने के बाद पैदल ही घर के लिए निकले लोगों और मजदूरों की।
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए ये लोग जैसे-तैसे कर अपने घर पहुंचना चाहते हैं।
यही कारण है कि वे कई दिनों से भूखे होने के बाद भी अपना सफर पूरा करने में जुटे हैं।
कारण
पूरे देश को लॉकडाउन करने के बाद नहीं बचा रहने का ठिकाना
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए मंगलवार रात 12 बजे से पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी।
इसके अलावा ट्रेन और सार्वजनिक परिवहन सुविधा भी बंद कर दी गई है।
ऐसे में दूसरे राज्यों में नौकरी करने वाले मजदूर और वेंडर्स के पास रहने का ठिकाना नहीं रहा और वे सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर ही अपने घर पहुंचने को मजबूर हो रहे हैं।
वाराणसी से समस्तीपुर
वाराणसी से समस्तीपुर की 335 किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकले 16 श्रमिक
बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले 16 श्रमिकों ने वाराणसी से अपने घरों तक की 335 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करने का निर्णय लिया।
दुकानें बंद होने के कारण उन्हें रास्ते में खाने को भी कुछ नहीं मिला और वे भूखे ही कुचामन रेलवे स्टेशन पहुंच गए।
यहां उनकी खराब हालत देखकर पुलिस ने उन्हें खाना-पानी देकर बचाया।
पुलिस अधीक्षक हेमंत कुत्याल ने बताया कि इन सभी श्रमिकों को एक वाहन के जरिए उनके घर भेजा जाएगा।
बयान
केरल के कालीकट से हुए थे रवाना
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सभी 16 श्रमिक कालीकट से ट्रेन से रवान हुए थे, लेकिन झांसी के बाद ट्रेनों का संचालन रोक दिया गया। उसके बाद वे अन्य वाहनों में लिफ्ट लेते हुए वाराणसी पहुंचे गए, लेकिन फिर पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा हो गई।
राजस्थान से बिहार
राजस्थान से बिहार जाने के लिए पैदल निकले 14 मजदूर
ऐसी ही हालत है राजस्थान के जयपुर के एक कोल्ड स्टोरेज में काम करने वाले 14 मजदूरों की।
लॉकडाउन के बाद वे भी पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े। सिफौल निवासी सुधीर कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद उनके कंपनी मालिक ने उन्हें दो-दो हजार रुपए देकर भेज दिया।
वाहन बंद होने के कारण वे पैदल ही जाने को मजबूर हैं। वे अभी आगरा पहुंचे हैं और आगे का रास्ता भी पैदल ही पूरा करेंगे।
बुरी हालत
देश के विभिन्न हिस्सों से पैदल यात्रा कर घर पहुंच रहे लोग
पैदल चलने की मजबूरी दूसरे राज्यों में काम करने वाले श्रमिक या मजदूरों की नहीं, बल्कि नौकरीपेशा लोग और छात्रों की भी है।
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और अन्य जगहों पर फंसे एटा, मैनपुरी और इटावा के सैकड़ों युवा और नौकरीपेशा लोग पैदल ही अपने गंतव्य के लिए निकल पड़े हैं।
30 घंटे पैदल चलने के बाद भी ये लोग अपने घरों तक नहीं पहुंचे हैं। रास्ते में ये लोग बिस्किट और केला खाकर ही अपनी भूख मिटाने को मजबूर हैं।
जानकारी
मालगाड़ियों का ले रहे सहारा
आपको बता दें कि रेलवे ने मालगाड़ियों के संचालन पर रोक नहीं लगाई हैं। ऐसे में पैदल अपने घरों को निकले लोग बीच-बीच में रेलवे स्टेशनों पर मालगाड़ियों दिखने पर उनमें सवार होकर अपना कुछ किलोमीटर का सफर तेजी के साथ पूरा कर रहे हैं।
समस्या
कंपनी संचालक श्रमिकों को जबरन भेज रहे घर
उत्तर प्रदेश के उन्नाव से 80 किलोमीटर दूर बाराबंकी स्थित अपने घर के लिए पैदल निकले स्टील फैब्रिकेसन कंपनी में काम करने वाले अवधेश ने बताया कि वह कंपनी में ही रुका हुआ था, लेकिन मंगलवार रात कंपनी संचालक ने उसे घर जाने के लिए बोल दिया।
ऐसे में वह अन्य श्रमिकों के साथ पैदल ही जाने को मजबूर है। दिल्ली में छोले-भटूरे की दुकान पर काम करने वाले 16 वर्षीय शांतिपाल की भी बिल्कुल ऐसी ही स्थिति है।
परिवार
पत्नी और चार बच्चों के साथ 48 घंटों से भूखे पेट सफर कर रहा परिवार
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ से आया है। कंपनी के घर जाने की कहने पर एक मजदूर अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर है।
इस परिवार ने पिछले 48 घंटे से कुछ भी नहीं खाया। बाद में पुलिस निरीक्षक विजेन्द्र मीणा ने उन्हें भोजन कराया और आगे की यात्रा के लिए कुछ पैसे भी दिए।
निरीक्षक ने बताया कि मजदूर और उसके परिवार की बहुत बुरी हालत थी।