दिल्ली: जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी मूल का नागरिक गिरफ्तार, 2016 में मिली थी नागरिकता
क्या है खबर?
राजस्थान की CID और इंटेलीजेंस टीम ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के माममें पाकिस्तानी मूल के एक नागरिकों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है।
आरोपी को साल 2016 में भारत की नागरिकता की मिली थी और वह तभी से दिल्ली में रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था। वह भारत में मोबाइल सिम जारी कराकर पाकिस्तानी हैंडलर्स को दे रहा था।
पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर अन्य जासूसों का पता लगाने में जुटी है।
पृष्ठभूमि
भीलवाड़ा में पकड़े गए जासूस की निशानदेही पर मिली सफलता
राजस्थान इंटेलीजेंस के पुलिस महानिदेशक (DGP) उमेश मिश्रा ने बताया कि गिरफ्तार पाकिस्तानी जासूस भागचंद हैं। 14 अगस्त को इंटेलीजेंस टीम ने जासूसी के मामले में भीलवाड़ा जिले से नारायणलाल (27) नाम के युवक को गिरफ्तार किया था।
उन्होंने बताया कि नारायणलाल पाकिस्तानी जासूसी एजेंसियों को फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट चलाने के लिए मोबाइल सिम उपलब्ध करवाता था और उसी ने अपने सहयोगी भागचंद के संबंध में जानकारी मुहैया कराई थी।
जासूसी
जासूसी में क्या थी आरोपियों की भूमिका?
DGP मिश्रा ने बताया कि नारायणलाल ने पूछताछ में कहा था कि उसका सहयोगी भागचंद ने कई बार अपने नाम से मोबाइल सिम जारी कराकर उन नंबरों को चालू करवाया था। उसके बाद उन नंबरों से सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर OTP नंबर पाकिस्तानी हैंडलर्स को बताता था। इससे उन्हें मोटी रकम मिलती थी।
उन्होंने बताया कि भागचंद पाकिस्तान में रहने वाले अपने रिश्तेदारों की मदद से पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में रहता था।
कार्रवाई
पुलिस ने दिल्ली में दबिश देकर किया गिरफ्तार
DGP मिश्रा ने बताया कि नारायणलाल की निशानदेही पर इंटेलीजेंस टीम ने रविवार को दिल्ली की संजय कॉलोनी स्थित भाटी माइंस के पास भागचंद के घर पर दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया था। उसके बाद उसे जयपुर लाया गया है।
उन्होंने बताया कि आरोपी पूर्व में पाकिस्तानी हैंडलर्स के इशारे पर मोबाइल सिम जारी करवाकर उनको मसाले की पैकिंग और कपड़ों में छिपाकर मुंबई में किसी व्यक्ति को भेज चुका है। उन सिम को पाकिस्तानी भेजा गया था।
इतिहास
1998 में भारत आया था भागचंद
DGP मिश्रा ने बताया कि मूल रूप से पाकिस्तान निवासी भागचंद साल 1998 में वीजा लेकर पाकिस्तान से परिवार के साथ भारत आया था। इसके बाद 2016 में उसने भारतीय नागरिकता हासिल कर ली। तब से वह दिल्ली में टैक्सी चलाकर रोजी-रोटी कमाने में लगा था।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान निवासी रिश्तेदारों के कहने पर पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में आया और जासूसी में सहयोग करने लग गया। जासूसी से मिले पैसों से उसने एक मोबाइल फोन भी खरीदा है।
उपयोग
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
राजस्थान ATS के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) अंशुमन भोमिया ने न्यूजबाइट्स हिंदी को बताया कि आतंकी और पाकिस्तानी जासूस भारतीय नंबरों से पाकिस्तान में बैठकर व्हाट्सऐप, फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया अकाउंट्स सक्रिय करते हैं।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी जासूस महिलाएं राजस्थान और देश के अन्य शहरों में इन अकाउंट्स के जरिए सैन्यकर्मियों तथा अन्य युवकों को हनीट्रेप का शिकार बनाती हैं और बाद में उनसे भारतीय सामरिक महत्व की सूचनाएं हासिल करती हैं।