भारत में प्लास्टिक कचरे से बनीं एक लाख किलोमीटर सड़कें, सरकार ने रखा दोगुना करने लक्ष्य
भारत में आने वाले समय से अधिकतर सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जाएगा। सरकार का प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण का प्रयोग सफल रहा है और इसके तहत देश में एक लाख किलोमीटर सड़कें बनाई भी जा चुकी हैं। ऐसे में सरकार ने आने वाले समय में सभी सड़कों के निर्माण में प्लास्टि कचरे का उपयोग करने का निर्णय किया है। प्लास्टिक कचरे के उपयोग से बनी सड़कों में लागत में भी बड़ी कमी आई है।
प्रत्येक किलोमीटर पर होगी 30,000 रुपये की बचत
HT की रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक कचरे से बनाई जाने वाली सड़कों में एक किलोमीटर सड़क के लिए नौ टन कोलतार और एक टन प्लास्टिक कचरे की आवश्यकता होती है। ऐसे में प्रत्येक किलोमीटर पर सरकार को एक टन कोलतार की बचत होती है। जिसकी कीमत करीब 30,000 रुपये हैं। इसी तरह प्लास्टिक कचरे से बनी सड़कों में 6-8 प्रतिशत प्लास्टिक और 92-94 प्रतिशत बिटुमिन होता है। इससे सड़क मजबूत होती है।
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में दो लाख किलोमीटर सड़क बनाने का रक्षा लक्ष्य
बता दें कि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साल 2016 में सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने की घोषणा की थीं। जिसके बाद से लेकर अब तक 11 राज्यों में प्लास्टिक कचरे के उपयोग से एक लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। सरकार ने अब चालू वित्तीय वर्ष में देशभर में प्लास्टिक कचरे के उपयोग से दो लाख किलोमीटर सड़के बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
साल 2017 में जारी किए गए थे 10 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे के उपयोग के आदेश
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री गडकरी की घोषणा के बाद पायलट प्रोजेक्ट के तहत 10 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग में 10 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया गया। सेंटर रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) द्वारा गुणवत्ता और क्षमता के अध्ययन के बाद जनवरी 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्ग, जिला सड़कें, नगर निगम, नगर निकाय आदि सड़कों निर्माण में 10 फीसदी प्लास्टिक कचरे के उपयोग के आदेश दिए गए थे।
उत्तर प्रदेश गेट के पास इस्तेमाल हुआ 1.6 टन प्लास्टिक कचरा
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2018 में गुरुग्राम में पहली बार सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया गया था। इसी तरह 270 किलोमीटर लंबे जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग में भी प्लास्टिक कचरा मिलाया गया। नोएडा सेक्टर 14A में महामाया फ्लाइओवर तक छह टन प्लास्टिक कचरा, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के उत्तर प्रदेश गेट के पास 1.6 टन प्लास्टिक कचरा लगा। धौलाकुआं से एयरपोर्ट जाने वाले राजमार्ग में भी प्लास्टिक कचरा लगा है। असम में भी उपयोग हो रहा है।
यहां भी चल रहा है निर्माण कार्य
वर्तमान में चेन्नई, पुणे, जमशेदपुर, इंदौर, लखनऊ आदि शहरों में प्लास्टिक कचरे की सड़कें बनाई जा रही हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय की पांच लाख की आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में 50 किलोमीटर के दायरे में प्लास्टिक कचरे के लिए कलेक्शन सेंटर बनाने की योजना है।
भारत में प्रतिदिन निकलता है 25,940 टन प्लास्टिक कचरा
भारत में लगभग 4,300 हाथियों के वजन के बराबर, प्रतिदिन करीब 25,940 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार इसमें से 60% रिसाइकल हो जाता है। बाकी को लैंडफिल में डंप किया जाता है, नालियों को भरा जाता है, समुद्र में सूक्ष्म प्लास्टिक के रूप में चला जाता है, जिससे वायु प्रदूषण होता है। ऐसे में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इस कचरे का सड़क निर्माण में उपयोग किया जा रहा है।