
कोरोना वायरस: अब संक्रमण से ठीक होने के तीन महीने बाद लगवा सकेंगे वैक्सीन
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने बुधवार को वैक्सीनेशन के नियमों में संशोधन कर दिया है। इसके तहत अब कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने वाले लोग ठीक होने के तीन महीने बाद ही वैक्सीन लगवा सकेंगे।
सरकार ने यह संशोधन नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) की सिफारिश को स्वीकार करने के बाद किया है। इसी तरह पहली खुराक लेने के बाद संक्रमित हुए लोग भी ठीक होने के तीन महीने बाद ही दूसरी खुराक लगवा सकेंगे।
सिफारिश
NTAGI ने की थी ठीक होने के तीन महीने बाद वैक्सीनेशन की सिफारिश
बता दें कि NTAGI ने 13 मई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों की समीक्षा के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' की खुराकों के बीच के अंतराल को बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने तथा संक्रमण से ठीक होने के बाद वैक्सीन लगाए जाने की सिफारिश की थी।
सरकार ने कोविशील्ड की खुराकों में अंतराल बढ़ाने की सिफारिश को तो 14 मई को स्वीकार कर लिया था और शेष सिफारिशों को बुधवार को स्वीकार किया है।
संशोधन
सरकार ने वैक्सीनेशन नियमों के किए यह संशोधन
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार सरकार ने वैक्सीनेशन के नियमों में कई बदलाव किए हैं। अब कोरोना संक्रमितों को ठीक होने के तीन महीने बाद वैक्सीन लगाई जाएगी।
इसी तरह प्लाज्मा थैरेपी से उपचार कराने वाले और वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद संक्रमित हुए लोगों को ठीक होने के तीन महीने बाद दूसरी खुराक दी जा सकेगी।
इसी तरह ICU में भर्ती रहे अन्य बीमारी के मरीजों को वैक्सीन के लिए चार से आठ सप्ताह का इंतजार करना होगा।
रक्तदान
वैक्सीनेशन के 14 दिन बाद ही कर सकेंगे रक्तदान
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोई थी व्यक्ति वैक्सीन की खुराक लेने के 14 दिन बाद और कोरोना संक्रमित व्यक्ति RT-PCR रिपोर्ट के निगेटिव आने के 14 दिन बाद ही रक्तदान कर सकेंगे।
इसी तरह स्तनपान कराने वाली सभी महिलाओं को वैक्सीन लगाई जा सकती है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में वैक्सीनेशन पर अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है। इसकी फिलहाल समीक्षा जारी है।
इसी तरह अब वैक्सीनेशन से पहले एंटीजन टेस्ट की जरूरत नहीं होगी।
कारण
सरकार ने यह बताया नियमों में बदलाव करने का कारण
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि NTAGI की सिफारिशों के आधार पर नियमों में बदलाव किया गया है। ये सभी सिफारिशें अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर की गई थीं।
सिफारिशों के तहत कोरोना संक्रमण का उपचार कराने वाले व्यक्ति में तीन महीने तक एंटीबॉडी रहती है।
ऐसे में यह उसे एंटीबॉडी रहते हुए वैक्सीन लगाई जो तो उसका प्रभाव का समय कम हो जाएगा। इससे व्यक्ति के भविष्य में जल्दी संक्रमित होने का खतरा रहता है।
पृष्ठभूमि
अब तक यह थे वैक्सीनेशन के नियम
वैक्सीनेशन अभियान के लिए अब तक चल रहे नियमों के तहत कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आया कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से ठीक होने के चार सप्ताह बाद वैक्सीन लगवा सकता था।
इसी तरह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए वैक्सीन नहीं लगवाने की सिफारिश की गई थी।
हालांकि, NTAGI ने दोनों समूहों के वैक्सीनेशन की सिफारिश की है, लेकिन केंद्र सरकार ने गर्भवती महिलाओं की सिफारिश पर विचार नहीं किया है।