कोरोना: कोविशील्ड और कोवैक्सिन नए वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी, लेकिन बनती हैं आधी एंटीबॉडीज
क्या है खबर?
भारत में इस्तेमाल हो रहीं कोविशील्ड और कोवैक्सिन कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता देती हैं, लेकिन भारत में मिले नए स्ट्रेन B.1.617 के खिलाफ ये पुराने वेरिएंट की तुलना में आधी मात्रा में ही एंटीबॉडीज बना पाती हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई शुरुआती रिपोर्ट्स से ये जानकारी सामने आई है।
हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके बावजूद वैक्सीनें महामारी के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियारों में से एक हैं।
कोरोना वेरिएंट्स
ICMR और NIV कर रहे जांच
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, ICMR और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के वैज्ञानिक जनवरी से ही कोरोना संक्रमित मरीजों के सैंपल इकट्ठे कर उनमें वेरिएंट्स की जांच कर रहे हैं।
इसमें पता चला है कि भारत में फिलहाल B.1.1.7 (यूके वेरिएंट), B.1.351 (दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट), P2 (ब्राजीली वेरिएंट) और B.1.617 (भारतीय वेरिएंट) प्रमुखता से फैल रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन चारों को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' की सूची में शामिल किया हुआ है।
कोरोना वायरस
पुराने वेरिएंट के ब्लूप्रिंट पर बनी हैं वैक्सीनें
अन्य वैक्सीनों की तरह कोविशील्ड और कोवैक्सिन को भी पिछले साल अप्रैल तक भारत में प्रमुखता से फैल रहे कोरोना के B1 वेरिएंट के ब्लूप्रिंट पर तैयार किया गया है।
अब दुनियाभर से ऐसी खबरें आने लगी हैं कि वायरस के नए वेरिएंट्स वैक्सीन से मिली सुरक्षा को धोखा देने में सफल हो रहे हैं।
इसके चलते अलग-अलग देशों में नए वेरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन की सुरक्षा को जांचने के लिए काम हो रहा है।
कोरोना वैक्सीन
भारतीय और ब्राजीली के खिलाफ आधी एंटीबॉडीज
जांच में NIV के वैज्ञानिकों ने पाया कि कोवैक्सिन की दोनों खुराक ले चुके व्यक्ति में B.1.617 वेरिएंट के खिलाफ B1 की तुलना में 55 प्रतिशत कम एंटीबॉडीज बनी हैं। कोविशील्ड भी इस वेरिएंट के खिलाफ B1 की तुलना में आधी एंटीबॉडीज बना पाई।
इसी तरह ब्राजीली वेरिएंट के खिलाफ भी ये वैक्सीनें लगभग 50 प्रतिशत कम एंटीबॉडीज तैयार कर पाईं, लेकिन UK वेरिएंट के खिलाफ ये वैक्सीन पुराने वेरिएंट के लगभग बराबर ही एंटीबॉडीज बनाती हैं।
जानकारी
टी-सेल्स रिस्पॉन्स की नहीं की गई जांच
इन रिपोर्ट्स को तैयार करने वाली टीम में शामिल और ICMR के महामारी विभाग के प्रमुख डॉ समिरन पांडा ने कहा कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन B.1.617 वेरिएंट के खिलाफ लगभग एक जैसी सुरक्षा देती है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह अध्ययन कम लोगों पर किया गया और इसमें टी-सेल्स रिस्पॉन्स की जांच नहीं की गई है।
बता दें कि एंटीबॉडीज जहां वायरस को आगे बढ़ने से रोकती हैं, वहीं टी-सेल्स वायरस को खत्म करने का काम करती हैं।
जानकारी
दो गुना गिरावट चिंता की बात नहीं- मिश्रा
हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (CCMB) के पूर्व निदेशक राकेश मिश्रा का कहना है कि वायरस के खिलाफ बनने वाली एंटीबॉडीज में दो गुना गिरावट आना गंभीर बात नहीं है। अगर यह गिरावट 10 गुना होती तो चिंता की बात थी।