किसान आंदोलन पर 15 घंटे बहस के लिए तैयार हुई सरकार, विपक्ष के साथ बनी सहमति
क्या है खबर?
केंद्र सरकार किसान आंदोलन पर 15 घंटे बहस के लिए तैयार हो गई है और आज विपक्ष और सरकार के बीच इस पर सहमति बनी।
ये बहस राज्यसभा में होगी और इसके लिए समय निकालने के लिए प्रश्नकाल को दो दिनों के लिए निलंबित किया गया है। इसके अलावा कोई प्राइवेट मेंमर बिल भी पेश नहीं किया जाएगा, ताकि बहस के लिए और समय मिल सके।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान ये चर्चा होगी।
हंगामा
मंगलवार को संसद में विपक्ष ने किया था जमकर हंगामा
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच विपक्षी पार्टियां लगातार मुद्दे पर संसद में बहस की मांग कर रही हैं और मंगलवार को इस मांग को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों में जमकर हंगामा हुआ।
हंगामे के दौरान कांग्रेस, वामपंथी पार्टियों, तृणमूल कांग्रेस और DMK ने चार बार राज्यसभा से वॉकआउट किया।
विपक्षी पार्टियों के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को दिन में कई बार स्थगित भी करना पड़ा।
सहमति
16 पार्टियों के नोटिस के बाद 15 घंटे बहस को तैयार हुई सरकार
16 से अधिक विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में नोटिस देकर कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर पांच घंटे बहस की मांग की थी और अब सरकार 15 घंटे की बहस के लिए तैयार हो गई है। संसदीय कार्यों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा में ये ऐलान किया।
उनके इस ऐलान पर नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा, "चूंकि सरकार ने हमारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है, हम चर्चा के लिए तैयार हैं।"
जानकारी
कांग्रेस ने लोकसभा में भी रखा बहस का प्रस्ताव
इस बीच कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में भी स्थगित प्रस्ताव रखा है और सदन की कार्यवाही को स्थगित करके किसान आंदोलन पर बहस की मांग की है। हालांकि लोकसभा में बहस पर अभी कोई सहमति नहीं बनी है।
कार्रवाई
AAP के तीन सांसद एक दिन के लिए निलंबित
इस बीच राज्यसभा में लगातार हंगामा करने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है। सभापति वेंकैया नायडू ने नियम 255 का उपयोग करते हुए इन सांसदों से सदन से बाहर जाने को कहा।
निलंबित सांसदों में शामिल संजय सिंह ने कहा, "हमने सदन में अपना असंतोष व्यक्त किया। हम तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराना चाहते हैं क्योंकि बातचीत से कुछ नहीं होगा।"
मुद्दा
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
गतिरोध
11 दौर की बातचीत में भी नहीं निकला है कोई समाधान
मुद्दे पर बने गतिरोध को तोड़ने के लिए किसानों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें कोई समाधान नहीं निकला है।
अंतिम दौर की बैठक में सरकार ने साफ कर दिया कि वह कानूनों को दो साल के लिए निलंबित करने के लिए तैयार है और अगर किसान इस पर तैयार है तभी आगे बातचीत होगी।
हालांकि किसान कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।