ये प्यार है जानलेवा! भारत में हत्या के कारणों में लव अफेयर्स तीसरे नंबर पर
भारत में पिछले कुछ सालों में हत्या के मामलों में भले ही कमी देखी गई हो, लेकिन इस दौरान प्यार के कारण हत्या के मामले लगातार बढ़े हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2001 से 2017 के बीच प्यार के कारण हत्या के मामले सबसे तेजी से बढ़े हैं। 2017 में हत्या के पीछे कारणों में लव अफेयर्स तीसरे नंबर पर रहे। पहले और दूसरे नंबर पर व्यक्तिगत दुश्मनी और संपत्ति विवाद हैं।
28 प्रतिशत बढ़े लव अफेयर्स में हत्या के मामले
NCRB रिपोर्ट्स के अनुसार, 2001 में देशभर में हत्या के 36,202 मामले सामने आए जो 2017 में 21 प्रतिशत गिरकर 28,653 हो गए। इस दौरान व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण हत्या के मामलों में 4.3 प्रतिशत और संपत्ति विवाद में हत्या के मामलों में 12 प्रतिशत की कमी आई। लेकिन इसी दौरान लव अफेयर्स में हत्या के मामले 28 प्रतिशत बढ़ गए। 2017 में लव अफेयर्स में कुल 1,390 हत्याएं हुईं जो 2016 में 1,493 हत्याओं से थोड़ा कम थीं।
इन चार राज्यों में प्यार हत्या का पहला सबसे बड़ा कारण
NCRB के अनुसार, 2001-2017 के बीच चार राज्यों में लव अफेयर्स हत्या के कारणों में शीर्ष पर रहा। इस दौरान आंध्र प्रदेश में लव अफेयर्स में सालाना औसतन 384 हत्याएं हुईं। वहीं महाराष्ट्र में 277, गुजरात में 156 और पंजाब में 98 हत्याएं हुईं।
उत्तर प्रदेश में लव अफेयर्स में हत्या के सबसे ज्यादा मामले
अगर लव अफेयर्स में हत्या के सबसे ज्यादा मामलों की बात करें तो उत्तर प्रदेश इसमें सबसे आगे रहा। 2001 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश में लव अफेयर्स में सालाना औसतन 395 हत्याएं हुईं। इस बीच लव अफेयर्स राज्य में हत्या के कारणों के मामले में दूसरे नंबर पर रहा। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक और दिल्ली में भी लव अफेयर्स हत्या के कारणों के मामले में दूसरे नंबर पर रहा।
लव ट्राएंगल और अवैध संबंधों के कारण हुईं सबसे ज्यादा हत्याएं
केरल और पश्चिम बंगाल में लव अफेयर्स के मामले में सबसे कम हत्याएं हुईं। पश्चिम बंगाल में लव अफेयर्स में सालाना औसतन 29 और केरल में सालाना छह हत्याएं हुईं। बाकी राज्यों में हत्या के कारणों में लव अफेयर्स तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से बातचीत करते हुए बताया कि इनमें से ज्यादातर हत्याएं लव ट्राएंगल और अवैध संबंधों के कारण हुईं।
2017 में ऑनर किलिंग के 92 मामले
इस दौरान ऑनर किलिंग के भी कुछ मामले सामने आए। 2017 में 92 लोगों की ऑनर किलिंग की गई, जबकि 2016 में ये आंकड़ा 71 रहा। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एसोसिएट प्रोफेसर प्रतीक्षा बक्सी ने कहा कि ये आंकड़े लैंगिंक हिंसा का सामान्यीकरण दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, "ऐसी हत्याओं के पीछे लोगों को अपनी मर्जी से शादी करने से रोकने के लिए जाति, वर्ग और धर्म जैसे सामाजिक और राजनीतिक कारण होते हैं।"