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    लॉन्ग कोविड से जूझ रहे मरीजों को हृदय संबंधी बीमारियों का ज्यादा खतरा- अध्ययन
    लॉन्ग कोविड के मरीजों को हृदय संबंधी रोग का बढ़ा खतरा

    लॉन्ग कोविड से जूझ रहे मरीजों को हृदय संबंधी बीमारियों का ज्यादा खतरा- अध्ययन

    लेखन नवीन
    Mar 06, 2023
    02:47 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस संक्रमण से उबर गए मरीजों को अब नई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। एक नए अध्ययन में पता चला है कि लॉन्ग कोविड का अनुभव करने वाले मरीजों में हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ गया है।

    इतना ही नहीं, दिल से जु़ड़ी बीमारियों के साथ-साथ लॉन्ग कोविड के मरीजों में पलमनरी एम्बोलिज्म, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट फेलियर, अस्थमा और क्रॉनिक पलमनरी डिसऑर्डर (COPD) जैसी बीमारियां भी देखने को मिली हैं।

    अध्ययन

    क्या होता है लॉन्ग कोविड?

    रोग नियंत्रण और रोकथान केंद्र (CDC) के अनुसार, कोरोना संक्रमण होने के चार सप्ताह बाद मरीज में लक्षणों के वापस दिखाई देने या नए लक्षण आने की स्थिति को लॉन्ग कोविड कहते हैं।

    3 मार्च को जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, लॉन्ग कोविड या पोस्ट-कोविड स्थिति (PCC) में मरीजों को प्रारंभिक संक्रमण के बाद लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझना पड़ता है।

    स्थिति

    किन मरीजों पर किया गया अध्ययन?

    इस अध्ययन के लिए स्वास्थ्य बीमा का डाटा लिया गया है, जिसमें उच्च रक्तचाप, मोटापा, अवसाद और COPD से जूझ रहे मरीज शामिल हैं और अध्ययन ने कोविड संक्रमण के बाद हृदय रोग की बढ़ती संभावना को स्थापित करने की कोशिश की है।

    लॉन्ग कोविड या PCC के दौरान मरीजों में थकान, खांसी, दर्द (जोड़, गला, छाती), स्वाद या गंध महसूस न होना, सांस की तकलीफ, ब्लड क्लोटिंग, न्यूरोकोग्निटिव परेशानियां और अवसाद जैसे लक्षण देखे गए हैं।

    कोविड

    अध्ययन में क्या निकला निष्कर्ष?

    इस अध्ययन में लॉन्ग कोविड से ग्रसित 13,435 वयस्कों और 26,870 सामान्य वयस्कों की तुलना की गई। इसमें पता चला कि लॉन्ग कोविड से ग्रसित कई व्यस्कों में अधिक हृदय संबंधी बीमारियां देखी गईं।

    अध्ययन के अनुसार, 12 महीनों की अवधि के दौरान लॉन्ग कोविड से ग्रसित 2.8 प्रतिशत व्यक्तियों के मुकाबले 1.2 प्रतिशत सामान्य वस्यकों की ही मौत हुई है, यानि हर 1,000 व्यक्तियों पर लॉन्ग कोविड से ग्रसित 16.4 प्रतिशत अधिक व्यक्तियों की मौत हुई।

    पहले के अध्ययन

    पहले के अध्ययनों में क्या सामने आया है?

    इससे पहले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने कोविड से जूझ रहे 8,163 मरीजों पर एक अध्ययन किया था। इस अध्ययन में निष्कर्ष निकला कि लॉन्ग कोविड की वजह से 1.3 प्रतिशत मरीजों में एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ा है।

    हल्के और मध्यम कोविड से जूझ रहे 2,292 मरीजों पर किये एक यूरोपीय अध्ययन में सामने आया कि 28 दिन बाद हल्के कोविड के 0.6 प्रतिशत और मध्यम कोविड के 2.3 प्रतिशत मरीजों में ब्लड क्लोटिंग के मामले बढ़े हैं।

    महामारी

    अभी क्या है महामारी की स्थिति? 

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 75.83 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 68.59 लाख लोगों की मौत हुई है।

    सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 10.20 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 11.09 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद चीन दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है, जहां करीब 9.90 करोड़ मामले मिले हैं।

    तीसरे सबसे अधिक प्रभावित देश भारत में लगभग 4.46 करोड़ संक्रमित मिले हैं।

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