मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड: बृजेश ठाकुर समेत 19 आरोपी दोषी करार, जानिए क्या था यह मामला
दिल्ली की एक अदालत ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को दोषी ठहराया है। इन्हें बच्चियों का यौन और शारीरिक उत्पीड़न का दोषी माना गया है और इनकी सजा का ऐलान 28 जनवरी को किया जाएगा। वहीं एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। बता दें कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ POCSO ऐक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया था।
बृजेश ठाकुर चलाता था शेल्टर होम
बिहार पीपल्स पार्टी (BPP) के पूर्व विधायक बृजेश ठाकुर यह शेल्टर होम चलाता था, जहां कई लड़कियों के साथ रेप किया गया था। ठाकुर को POCSO कानून के तहत और गैंगरेप का दोषी ठहराया गया है। कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को ठाकुर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। इनमें से 12 पुरुष और आठ महिलाएं थीं। बता दें कि मुजफ्फरनगर शेल्टर होम कांड में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था।
इन आरोपियों को ठहराया गया दोषी
अदालत ने ठाकुर के अलावा बालिकागृह की अधीक्षक इंदु कुमारी, बालिकागृह की गृह माता मीनू देवी, चंदा देवी, काउंसलर मंजू देवी, नर्स नेहा कुमारी, केस वर्कर हेमा मसीह, सहायक किरण कुमारी, रवि कुमार, दिलीप कुमार, विकास कुमार, ठाकुर के ड्राइवर विजय तिवारी, कर्मचारी गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह, बालिकागृह के डॉक्टर अश्विनी, साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया है।
अदालत ने रद्द की थी ठाकुर की याचिका
इससे पहले ठाकुर ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि इस मामले में गवाहों के बयान भरोसेमंद नहीं माने जा सकते। अदालत ने उसकी यह याचिका खारिज कर दी थी।
जून, 2018 में सामने आया था मामला
मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में लड़कियों के यौन शोषण का मामला जून, 2018 में सामने आया था। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने अपनी रिपोर्ट में इसका भंड़ाफोड़ किया था। इन लड़कियों को नशीले पदार्थ देकर उनका रेप किया जाता था। मई, 2018 में बिहार सरकार ने लड़कियों को शेल्टर होम से दूसरी जगह भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए नवंबर, 2018 को इसकी जांच CBI को सौंपी थी।
CBI ने की 17 शेल्टर होम्स की जांच
मामला सामने आने के बाद पत्रकार निवेदिता झा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कोर्ट की निगरानी में एक स्वतंत्र संस्था द्वारा आरोपों की जांच की मांग की थी। CBI ने मामले में बिहार के 17 शेल्टर होम्स की जांच की, जिनमें से 13 मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है। वहीं चार मामलों में कोई भी सबूत न मिलने के कारण जांच बंद कर दी गई।
पिछले साल CBI ने कही थी 11 लड़कियों की हत्या की बात
CBI ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बृजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों द्वारा 11 लड़कियों की हत्या किए जाने की आशंका जाहिर की थी। CBI ने कहा था कि उसे हड्डियों की एक गठरी मिली है।
जिंदा मिली सभी लड़कियां- CBI
8 जनवरी, 2020 को हुई सुनवाई के दौरान CBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन लड़कियों की हत्या होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी, उनको बाद में ढूंढा गया और जिंदा पाया गया। CBI ने कहा कि जो दो कंकाल मिले थे वो एक पुरुष और एक महिला के थे और किसी नाबालिग की हत्या किए जाने के कोई सबूत नहीं मिले। सुप्रीम कोर्ट ने CBI की यह रिपोर्ट स्वीकार कर ली है।