कर्नाटक में 3.4 लाख बच्चों को संक्रमित कर सकती है कोरोना की तीसरी लहर- विशेषज्ञ समिति
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी की संभावित तीसरी लहर कर्नाटक में लगभग 3.5 लाख बच्चों को संक्रमित कर सकती है।
कर्नाटक सरकार के सलाहकार डॉ देवी शेट्टी के नेतृत्व में बनी 16 विशेषज्ञों की समिति ने यह आशंका जताते हुए पर्याप्त तैयारियां करने का सुझाव दिया है।
राज्य सरकार को सौंपी अपनी अंतरिम रिपोर्ट में समिति ने आशंका जताई है कि तीसरी लहर चरम पर पहुंचने तक कर्नाटक के 3.4 लाख बच्चों को अपनी चपेट में ले चुकी होगी।
कर्नाटक
तीसरी लहर में संक्रमित हो सकते हैं 3.4 लाख बच्चे- रिपोर्ट
सात करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले कर्नाटक में 2-18 साल के बच्चों और किशोरों की आबादी लगभग 2.38 करोड़ (34 प्रतिशत) है।
समिति ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर राज्य में कम से कम 3.4 लाख बच्चों को संक्रमित कर सकती है।
समिति से रिपोर्ट मिलने की पुष्टि करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने कहा की अंतिम रिपोर्ट मिलने के 45 दिनों के भीतर राज्य सरकार तीसरी लहर के मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार होगी।
कर्नाटक में कोरोना
अक्टूबर या नवंबर तक तीसरी लहर आने का अनुमान
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, 91 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट में 16 विशेषज्ञों वाली समिति ने कहा है कि बेंगलुरू में तीसरी लहर के पीक पर पहुंचने के समय लगभग 46,000 बच्चे संक्रमित हो चुके होंगे। इसी दौरान पूरे राज्य में 2-18 साल के 2.2 प्रतिशत बच्चे और किशोर महामारी की चपेट में आ चुके होंगे।
कोरोना पर राज्य की तकनीकी सलाहकार समिति ने अनुमान लगाया है कि अक्टूबर या नवंबर तक कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है।
कर्नाटक
अस्पतालों में होगी 27,000 से अधिक बिस्तरों की जरूरत- रिपोर्ट
विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, तीसरी लहर की पीक के दौरान बेंगलुरू के अस्पतालों में बच्चों के लिए 1,838 ICU (इन्टेंसिव केयर यूनिट) और HDU (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) बिस्तरों समेत कुल 3,677 बिस्तरों की जरूरत होगी। इनके अलावा कोविड देखभाल केंद्रों में 7,353 बिस्तरों की जरूरत पड़ सकती है।
वहीं पूरे राज्य की बात करें तो अस्पतालों में बच्चों के लिए कुल 27,205 और देखभाल केंद्रों में 54,409 बिस्तरों की जरूरत होगी।
राहत
0-18 उम्र वर्ग में नहीं हुई किसी की मौत
बतौर रिपोर्ट, पहली और दूसरी लहर के दौरान संक्रमितों में 0-18 वर्ष की उम्र के बच्चों की संख्या 8 और 10 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से अधिकतम 5-7 प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी था।
हालांकि, अमेरिका से मिले हालिया आंकड़ों के अनुसार 12-17 साल के किशोरों में 31 प्रतिशत को ICU की जरूरत पड़ी थी, लेकिन इनमें से किसी की मौत नहीं हुई थी।
सुझाव
समिति ने दिए ये सुझाव
समिति ने राज्य के पिछड़े जिलों में विशेष तौर पर बच्चों के लिए 250 बिस्तरों के अस्पताल बनाने, मौजूदा अस्पतालों में 10-20 प्रतिशत ICU बिस्तर बच्चों के लिए आरक्षित करने और ऐसे सुरक्षा केंद्र बनाने का सुझाव दिया है, जहां कोरोना संक्रमित बच्चे अपनी मां या दूसरी महिला अभिभावकों के साथ रह सकें।
साथ ही इंटर्नशिप पूरी कर चुके डॉक्टरों को कुछ समय के लिए कोविड ड्यूटी पर ग्रामीण इलाकों में तैनाती का सुझाव दिया गया है।