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    क्या कोरोना से हुए नुकसान से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं फेफड़े?

    क्या कोरोना से हुए नुकसान से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं फेफड़े?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Jun 16, 2021, 02:10 pm 1 मिनट में पढ़ें
    क्या कोरोना से हुए नुकसान से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं फेफड़े?
    क्या कोरोना संक्रमण के बाद पूरी तरह ठीक हो सकते हैं फेफड़े?

    कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को पूरी तरह स्वस्थ होने में काफी समय लगता है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ो को भारी नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आ सकता है कि क्या संक्रमण से ठीक होने के बाद फेफड़े पूरी तरह ठीक हो जाते हैं? इसका जवाब जानने से पहले जानते हैं कि संक्रमण से फेफड़ों में क्या परेशानी आती है और उसे ठीक होने में कितना समय लगता है।

    कोरोना संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ों को क्या परेशानियां हो सकती हैं?

    कोरोना संक्रमित व्यक्ति को होने वाली परेशानियों में निमोनिया सबसे प्रमुख हैं। इसके अलावा कुछ लोगों को एक्युट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) और कई मामलों में सेप्सिस का भी सामना करना पड़ता है, जिससे फेफड़ों और दूसरे अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

    निमोनिया में क्या होता है?

    निमोनिया होने पर फेफड़ों में पानी भरने से सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है। कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को निमोनिया होने पर ऑक्सीजन उनके फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाती। अधिकतर लोग फेफड़ों को नुकसान हुए बिना निमोनिया से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमितों के लिए यह खतरनाक हो सकता है और संक्रमण से उबरने के बाद भी उनके फेफड़ों को पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग जाते हैं।

    ARDS में पड़ती है वेंटिलेटर की जरूरत

    अगर कोरोना संक्रमितों में निमोनिया लगातार बढ़ता जाता है और सांस लेने में परेशानी आती रहती है तो यह ARDS का कारण बन सकता है। ARDS के मरीज के लिए खुद से सांस ले पाना बेहद मुश्किल हो जाता है और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। कई लोगों के यह स्थिति घातक हो जाती है। जो लोग कोरोना और इससे ठीक हो जाते है, उन्हें लंबे समय तक फेफड़ों संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

    सेप्सिस का खतरा और भी बड़ा

    कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के लिए सेप्सिस का खतरा भी बना रहता है। यह स्थिति तब आती है, जब संक्रमण खून के बहाव में मिल जाता है और हर जगह टिश्यूज को नुकसान पहुंचाने लगता है। जानकारों का कहना है कि फेफड़े, दिल और शरीर के दूसरे अंग साथ मिलकर काम करते हैं, लेकिन सेप्सिस में इनका तालमेल बिगड़ जाता है और सारे अंग एक के बाद एक काम करना बंद कर देते हैं।

    क्या है फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचने के संकेत?

    द टेलीग्राफ के अनुसार, मैक्स हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसीन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ रोम्मेल टिकू ने बताया कि संक्रमण के दूसरे सप्ताह में वायरस फेफड़ों तक पहुंचता है। उन्होंने कहा कि 48-72 घंटे तक तेज बुखार रहना, CRP लेवल 10 से ऊपर और लगातार गिरता ऑक्सीजन सेचुरेशन ऐसे संकेत हैं, जिनसे पता चलता है कि संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच गया है। ऐसे में उचित और तुरंत इलाज की जरूरत होती है।

    तीन चीजों पर निर्भर है फेफड़ों का ठीक होना

    कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के फेफड़ों में नुकसान और वो कितनी जल्दी इससे ठीक होंगे, ये तीन चीजों पर निर्भर करता है। पहली है बीमारी की गंभीरता, दूसरी है अन्य बीमारियां और तीसरी है इलाज। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिर्सिटी से जुड़े पेनागिस गलियाटसेटोस कहते हैं कि दिल आदि से जुड़ी बीमारियां संक्रमण की गंभीरता बढ़ा देती हैं और ऐसी स्थिति में मरीज का पूरी तरह और जल्दी ठीक होना उसे मिले इलाज की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

    क्या फेफड़े पूरी तरह ठीक हो सकते हैं?

    अब वापस शुरुआती सवाल पर लौटते हैं कि क्या ऐसी स्थिति से गुजरे मरीज के फेफड़े पूरी तरह ठीक हो सकते हैं? विशेषज्ञ इसके जवाब में कहते हैं कि फेफड़े पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसमें थोड़ा समय लगता है। इसलिए मरीजों को धीरे-धीरे सामान्य जिंदगी की तरफ लौटने की सलाह दी जाती है। गलियाटसेटोस कहते हैं कि समय के साथ टिश्यू ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसमें तीन महीने से लेकर सालभर का समय लग सकता है।

    रिकवरी के दौरान भी नजर आ सकते हैं लक्षण

    गलियाटसेटोट का कहना है कि फेफड़ों के ठीक होने के दौरान भी लोगों में लक्षण नजर आ सकते हैं। वो इसका उदाहरण देते हुए कहते हैं कि किसी व्यक्ति की टांग टूटने के बाद उसे महीनों प्लास्टर रखना पड़ता है। जब प्लास्टर उतरता है तो वह एकदम से भागना शुरू नहीं कर देता। जब टांग मजबूत होती है और मांसपेशियां दोबारा बनती हैं तो थोड़ी असहजता महसूस होती है। ऐसा ही फेफड़ों के ठीक होने के साथ होता है।

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