मिलिए उन सात महिलाओं से जिन्होंने महिला दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभाले
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तरह का पहला प्रयोग करते हुए अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को महिलाओं के हवाले कर दिया। दिनभर में भारत की सात प्रेरणादायी महिलाओं ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए अपने जीवन की कहानी पूरी दुनिया के सामने रखी। इनमें बम धमाके में बचने वाली महिला से लेकर पानी-खाना बचाने की मुहिम चलाने वाली महिलाएं शामिल रहीं। आइए आपको इन्हीं के बारे में विस्तार से बताते हैं।
'फूड बैंक इंडिया' की संस्थापक स्नेहा मोहनदास ने सबसे पहले संभाले अकाउंट्स
'फूड बैंक इंडिया' की संस्थापक स्नेहा मोहनदास पहली ऐसी महिला रहीं जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभाले। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2015 में चेन्नई में बाढ़ के दौरान फूड बैंक शुरू किया था और उन्हें इसकी प्रेरणा अपनी मां से मिली थी जो उनके जन्मदिन पर गरीब बच्चों को खाना खिलाती थीं। भारत से भूख मिटाने की पहल के तहत उन्होंने लोगों से दिन में एक जरूरतमंद को खाना खिलाने और खाना बर्बाद न करने की अपील की।
बम धमाके में दोनों हाथ गंवाने वालीं मालविका अय्यर ने कहा- हिम्मत हारना विकल्प नहीं
13 वर्ष की उम्र में बीकानेर बम धमाके में अपने दोनों हाथ गंवाने वाली मालविका अय्यर दूसरी ऐसी महिला रहीं जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभाले। धमाके में अपने हाथ गंवाने के बावजूद मालविका ने PhD की और दिव्यांगों के अधिकारों के लिए कार्य किया। मोटिवेशन स्पीकर मालविका ने कहा, "हिम्मत हारना कभी एक विकल्प नहीं हो सकता। अपनी सीमाएं भूल जाइए और आत्मविश्वास और उम्मीद के साथ दुनिया का सामना कीजिए।"
आरिफा ने बताया कैसे कश्मीर में लुप्त हो रही है हस्तकला
मालविका के बाद कश्मीर की हस्तकार आरिफा ने प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभाले। क्राफ्ट (दस्तकारी) मैनेजमेंट का कोर्स कर चुकीं आरिफा कश्मीर के महिला कारीगरों की बेहतरी के लिए काम करती हैं। कश्मीर की नम्दा कला को बचाने की मुहिम चलाने वालीं आरिफा ने कहा कि उचित मेहनताना नहीं मिलने के कारण कारीगर इसे तेजी से छोड़ रहे हैं और ये कला धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का स्वतंत्र बनना बेहद महत्वपूर्ण है।
बारिश के पानी की एक-एक बूंद को संरक्षित करने की मुहिम चला रही हैं कल्पना रमेश
प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभालने वाली चौथी महिला कल्पना रमेश ने जल संरक्षण को लेकर एक प्रभावशाली संदेश दिया। हैदराबाद की रहने वाली कल्पना पेशे से आर्किटेक्चर हैं और वे बारिश के पानी की एक-एक बूंद को संरक्षित करती हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को एक साथ मिलकर हमारी अगली पीढ़ी के लिए पानी बचाने की जरूरत है और इसमें महिलाएं सबसे ज्यादा योगदान दे सकती हैं। उन्होंने लोगों से 'वॉटर वॉरियर' बनने की अपील की।
बंजारा समुदाय की हस्तकला को बढ़ावा दे रही हैं विजया पवार
मध्य प्रदेश के बंजारा समुदाय की हस्तकला को बढ़ावा दे रहीं विजया पवार ने भी प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभाले। पिछले दो दशक से ये कार्य कर रहीं विजया ने कहा कि लगभग एक हजार से अधिक महिलाएं उनके साथ जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी मां, दादी और सास से ये कला सीखी और गांव और तालुका की महिलाओं को जोड़ा। उन्होंने कहा कि वे इस कला के संरक्षण के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं।
झोपड़पट्टी में शौचालय बनवाने की मुहिम चलाने वालीं कलावती ने बताई अपनी कहानी
कानपुर की रहने वालीं कलावती ने भी प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाई। उन्होंने बताया कि जिस राजापुरवा झोपड़पट्टी में वे रहती थीं, वहां की स्थितियां काफी खराब थीं और पीने के पानी से लेकर शौचालय तक की समस्या थी। उन्होंने इस बदलने की ठानी और लोगों को घर-घर जाकर इसके बारे में समझाया। लोगों को समझाने के बाद उन्होंने भीख मांगकर 50-50 रुपये जोड़े और शौचालय बनवाएं।
'मशरूम महिला' ने भी बताई अपनी कहानी
'मशरूम महिला' के नाम से चर्चित 43 वर्षीय वीणा देवी आखिरी ऐसी महिला रहीं जिसने प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए अपनी कहानी बताई। तेतियाबंबर की धौरी पंचायत की सरपंच रह चुकीं वीणा ने किसानों को मशरूम की खेती और घर पर कीटनाशक तैयार करने जैसी कई जरूरी चीजों के बारे में प्रशिक्षित किया है। उन्हें इसके लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। महिलाओं की डिजिटल शिक्षा में योगदान के लिए भी उन्हें सम्मानित किया गया है।