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    क्या है मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना? जानिए कितनी सफल, कितनी असफल

    क्या है मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना? जानिए कितनी सफल, कितनी असफल

    लेखन मुकुल तोमर
    Feb 04, 2020
    05:03 pm

    क्या है खबर?

    2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने कई बड़ी योजनाएं शुरू की हैं, जो उसके दूसरे कार्यकाल में भी जारी हैं।

    मोदी सरकार की ये बड़ी योजनाएं अब कहा तक पहुंची हैं, ये बताने के लिए हम एक सीरीज शुरू करने जा रहे हैं।

    इस सीरीज में आज हम मोदी सरकार की सबसे सफल योजनाओं में से एक रही 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' की बात करेंगे।

    परिचय

    क्या है उज्ज्वला योजना?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया था।

    इसके तहत देश में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन जी रहे परिवारों को मुफ्त LPG गैस कनेक्शन प्रदान किया जाता है।

    सरकार इन परिवारों को पहला गैस सिलेंडर खरीदने के लिए 1,600 रुपये की आर्थिक मदद भी देती है।

    इसके अलावा उन्हें EMI पर गैस चूल्हा भी दिया जाता है जिसकी किश्तें सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी से कटती हैं।

    योजना का विस्तार

    इन वर्गों कोे भी योजना में शामिल किया गया

    पहले उज्ज्वला योजना के तहत केवल BPL परिवारों को लाभ मिलता था, लेकिन बाद में सरकार ने इसमें बदलाव करके प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और अंत्योदय अन्न योजना के SC/ST लाभार्थियों, सबसे पिछड़े वर्गों (MBC), चाय बागान की जनजातियों और पूर्व जनजातियों और वन में रहने वाले लोगों को भी इसमें शामिल कर लिया।

    द्वीप समूहों पर रहने वाले उन लोगों को भी इसका लाभ मिलता है जिनके पास LPG गैस कनेक्शन नहीं है।

    लक्ष्य

    क्या है योजना का मुख्य लक्ष्य?

    ये किसी से छिपा नहीं है कि देश के ग्रामीण इलाकों में अधिकांश परिवारों में मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाया जाता है और इसके लिए लकड़ी और उपलों जैसे परंपरागत ईंधनों का प्रयोग होता है।

    लेकिन इनके प्रयोग से निकलने वाले धुएं से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

    स्वच्छ ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा देकर महिलाओं को इससे बचाना ही उज्ज्वला योजना का लक्ष्य है।

    जानकारी

    इन चीजों को कम करना भी योजना का लक्ष्य

    मिट्टी के चूल्हे के प्रयोग से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को भी नुकसान होता है और उज्ज्वला योजना का एक लक्ष्य इस नुकसान को कम करना भी है। धुएं वाला खाना खाने से होने वाली मौतों को कम करना भी इसका एक लक्ष्य है।

    लाभ

    कौन ले सकता है गैस कनेक्शन?

    उज्ज्वला योजना के तहत BPL परिवार की कोई भी महिला अपने नाम पर गैस कनेक्शन ले सकती है।

    इसके लिए महिला की उम्र 18 वर्ष से अधिक होना अनिवार्य है। इसके अलावा उसके परिवार में अन्य किसी के नाम कोई भी गैस कनेक्शन नहीं होना चाहिए।

    किसी सरकारी बैंक में लाभार्थी महिला का बचत खाता होना भी अनिवार्य है।

    महिला के आवेदन की जांच करने के बाद ऑयल मार्केंटिंग कंपनियां (OMC) उसे गैस कनेक्शन देंगी।

    प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज

    कैसे कर सकते हैं योजना के लिए आवेदन?

    योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक महिला को योजना से जुड़ा एक फॉर्म भरकर नजदीक के LPG केंद्र पर जमा करना पड़ेगा।

    इसके साथ BPL राशन कार्ड, फोटो पहचान पत्र (आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि), पासपोर्ट साइज की फोटो, LIC पॉलिसी और बैंक अकाउंट स्टेटमेंट आदि दस्तावेज जमा कराने होते हैं।

    आवेदक महिला को ये भी बताना होता है कि उसे 14.2 किलोग्राम का LPG सिलेंडर चाहिए या 5 किलोग्राम वाला।

    समीक्षा

    कितनी सफल रही योजना?

    उज्ज्वला योजना को मोदी सरकार की सबसे प्रभावी योजनाओं में से एक माना जाता है।

    इसकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि योजना शुरू करते वक्त आठ करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था जिसे निर्धारित समय से सात महीने पहले ही हासिल कर लिया गया। देश के 715 जिलों में इसकी पहुंच है।

    योजना के कारण ग्रामीण महिलाओं में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता भी बढ़ी है।

    CAG रिपोर्ट

    CAG रिपोर्ट में जताई गई योजना में घपले की आशंका

    पिछले साल दिसंबर में आई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में योजना की कमियां और घपले भी उजागर हुए हैं।

    रिपोर्ट के अनुसार, योजना के 3.44 लाख लाभार्थियों ने एक ही दिन में दो से 20 बार गैस सिलेंडर भरवाया।

    इसके अलावा 13.96 लाख लाभार्थियों ने एक महीने में तीन से 41 बार गैस सिलेंडर भरवाया।

    रिपोर्ट में इन घरेलू सिलेंडरों के व्यावसायिक उपयोग की आशंका जाहिर की गई है और इसकी जांच की जरूरत बताई है।

    लापरवाही

    नाबालिग और पुरुषों को दे दिए गए कनेक्शन

    रिपोर्ट में योजना के तहत दिए जाने वाले गैस कनेक्शनों और इसकी प्रक्रिया में कमी पर भी सवाल उठाए गए हैं।

    रिपोर्ट के अनुसार, पहले 3.78 करोड़ गैस कनेक्शनों में से 1.60 करोड़ मात्र आधार कार्ड के जरिए दिए गए, जिसके कारण कई परिवारों में एक से ज्यादा गैस कनेक्शन दे दिए गए।

    इसके अलावा कंपनियों के सॉफ्टवेयर में कमी के कारण 80,000 नाबालिगों और 1.88 लाख पुरुषों को कनेक्शन दिए जाने का भी खुलासा हुआ।

    जानकारी

    बेहद कम गैस सिलेंडर भरवा रहे हैं लाभार्थी

    रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि योजना के लाभार्थी गैस सिलेंडरों का बेहद कम प्रयोग कर रहे हैं। हर लाभार्थी साल में औसतन 3.21 सिलेंडर ही भरवा रहा है। इससे स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने का योजना का लक्ष्य खतरे में पड़ता है।

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