प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाकर खुद की डिजिटल करेंसी लाना चाहती है सरकार
क्या है खबर?
भारत सरकार जल्द बिटकॉइन जैसी प्राइवेट करेंसी पर बैन लगाने से जुड़ा कानून ला सकती है।
सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए नए बिल से सामने आया है कि केंद्रीय बैंक अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी तैयार करने पर विचार कर रहा है।
लोकसभा में पेश बिल के पास होने के बाद बिटकॉइन, रिपल, XRP और टेथर जैसी सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी मान्य नहीं रहेंगी।
नई क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर रुपये का डिजिटल वर्जन इनकी जगह ले सकता है।
बिल
भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी
लोकसभा की वेबसाइट पर पब्लिश बिल में कहा गया है कि नया कानून भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल करेंसी के लिए फ्रेमवर्क तैयार करेगा।
एजेंडा में कहा गया है कि नया कानून भारत में सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगा देगा, हालांकि इसके कुछ अपवाद भी हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के अपवाद इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने और इसके इस्तेमाल के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए रखे गए हैं।
सजा
10 साल तक की जेल और जुर्माना
साल 2019 में सरकार के एक पैनल ने हर तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को कहा था, लेकिन इससे जुड़ा कोई बिल तब संसद तक नहीं पहुंचा।
पैनल ने कहा था कि डिजिटल करेंसी में लेनदेन करने वालों को 10 साल तक जेल और भारी जुर्माने जैसी सजा होनी चाहिए।
हालांकि, इसी पैनल ने सरकार को भारत की आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च करने का सुझाव दिया था, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्देशन में इस्तेमाल किया जा सके।
बड़ा कदम
क्रिप्टोकरेंसी पर नियंत्रण की कोशिश
दुनिया के कई बड़े देशों में सरकारें क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं।
भारत सरकार भी ऐसा करना चाहती है लेकिन क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन लगने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर भी पड़ सकता है।
मार्च, 2020 में भारत सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को एक्सचेंज और ट्रेडर्स के साथ क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन हैंडल करने की अनुमति दे दी थी और माना था कि इनपर बैन लगने से इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होने का खतरा है।
वजह
अवैध लेनदेन को रोकना जरूरी
नए क्रिप्टोकरेंसी बिल में इस बात पर जोर दिया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी का गलत इस्तेमाल हो सकता है और किया जा रहा है।
बिल में इस बात पर जोर दिया गया है कि सरकार नए कानून की मदद से मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादियों की फंडिंग और दूसरे अवैध लेनदेन पर रोक लगाना चाहती है।
हालांकि, रुपये को आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी में बदलने के बाद इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकती है।
चिंता
भारतीयों के पास है अरबों रुपये की क्रिप्टोकरेंसी
किसी नए कानून के साथ क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से बैन करना डिजिटल लेनदेन करने वाले लाखों यूजर्स को सीधा नुकसान पहुंचा सकता है।
करीब सात लाख भारतीय यूजर्स के पास इस वक्त एक बिलियन डॉलर (करीब 7,290 करोड़ रुपये) से ज्यादा मूल्य के क्रिप्टो असेट्स मौजूद हैं।
नया कानून लाने से पहले सरकार अर्थव्यवस्था में मौजूद क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपना रुख भी साफ कर सकती है और इससे जुड़ी बड़ी घोषणा कर सकती है।