सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को वापस मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा- अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। शनिवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान शाह ने कहा कि इस विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। इसमें कहीं नहीं लिखा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
2019 में केंद्र शासित प्रदेश बना था जम्मू-कश्मीर
बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता था। इसके अलावा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फैसला भी लिया गया था। इससे संबंधित बिल संसद में पेश किया गया था और संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह 31 अक्टूबर, 2019 को प्रभाव में आया था।
क्या है जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक?
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पिछले महीने जारी हुए अध्यादेश की जगह लेगा। यह अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के कैडर से संबंधित है। इसके कानून बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर कैडर के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी अरुणाचल, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे। यानी जम्मू-कश्मीर कैडर के अधिकारी ऊपर बताए गए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तैनात किए जा सकेंगे। इसी तरह इन कैडरों के अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया जा सकेगा।
दोनों सदनों से पास हो चुका है विधेयक
इस विधेयक के उद्देश्य में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की कमी है, जिससे केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली योजनाओं और गतिविधियों पर असर पड़ता है। यह संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है।
जम्मू-कश्मीर के लोगों से खोखले वादे कर रही भाजपा- तिवारी
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि भाजपा जम्मू-कश्मीर के लोगों से खोखले वादे कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 17 महीनों के दौरान केंद्र शासित प्रदेश में एक भी उद्योग नहीं लगाया गया। पिछले दो सालों में जम्मू-कश्मीर के 60 प्रतिशत उद्योग-धंधे बंद हो चुके हैं। तिवारी ने अपने भाषण में जम्मू-कश्मीर में कई बार इंटरनेट बैन का मसला भी उठाया। दूसरे कांग्रेस सांसदों ने भी ऐसे ही टिप्पणियां की।
असंवैधानिक तरीके से हटाया गया अनुच्छेद 370- ओवैसी
वहीं AIMIM सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अंसवैधानिक तरीक से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम बहुल इलाका होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में सरकारी पदों पर मुसलमानों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
हमसे जवाब मांगने वाले बताएं उन्होंने क्या किया- शाह
विपक्ष की तरफ से आई टिप्पणियों का जवाब देते हुए शाह ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति समझनी होगी। अनुच्छेद 370 पर 17 महीनों में जवाब मांगने वाले बताएं कि उन्होंने 70 साल तक वहां क्या किया। शाह ने अपने बयान में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं।"
राजनीति के लिए गुमराह करने वाला बयान न दें- शाह
अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि राजनीति के लिए जनता को गुमराह करने वाले बयान न दें। उन्होंने कहा कि ओवैसी अफसरों का हिंदू-मुसलमान में विभाजन करते हैं और खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं।
शाह ने किया पंचायत चुनावों का जिक्र
शाह ने कहा कि कांग्रेस के समय जम्मू-कश्मीर में कई दिनों तक कर्फ्यू लगा रहता था, लेकिन भाजपा सरकार में ऐसा नहीं होगा। कश्मीर में शांति महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां 51 प्रतिशत मतदान के साथ शांतिपूर्ण और बेखौफ माहौल में पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि यहां के लगभग सभी नागरिकों को सरकार की स्वस्थ योजना मे शामिल कर लिया गया है।