बिलकिस बानो मामला: रिहाई से पहले 1,000 से अधिक दिनों तक बाहर रहा था हर दोषी
बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई का मामला एक बार फिर चर्चा में है। अब सामने आया है कि रिहा होने से पहले ये दोषी 1,000 दिनों से ज्यादा समय तक जेल से बाहर थे। 11 में से एक दोषी तो 1,500 दिनों से भी ज्यादा समय तक जेल से बाहर रहा था। इसमें पैरोल और फरलो दोनों शामिल हैं। बता दें कि अब इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
क्या है दोषियों की रिहाई का मामला?
2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने उनकी तीन वर्षीय बेटी समेत परिवार के सात लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत रिहा कर दिया। सरकार के इस कदम की कई तबकों में आलोचना हो रही है।
1,500 से अधिक दिन तक बाहर रहा एक दोषी
अदालती दस्तावेज से पता चलता है कि ये सभी दोषी 14 साल की सजा के दौरान 1,000 दिनों से अधिक जेल से बाहर रहे हैं। इनमें से एक दोषी रमेशभाई चौहान 1,198 दिनों की पैरोल और 378 दिनों के फरलो को मिलाकर कुल 1,576 दिन जेल से बाहर रहा। वहीं दो अन्य दोषी 1,200 से अधिक दिन जेल से बाहर रहे। बता दें कि गुजरात सरकार ने इनका अच्छा व्यवहार बताते हुए इन्हें रिहा किया है।
कौन कितने दिन रहा बाहर?
जसवंत चतुरभाई नाई को सजा के दौरान 929 दिनों की पैरोल, 219 दिनों का फरलो गोविंदभाई नाई को 986 दिनों की पैरोल, 216 फरलो शैलेशभाई भट्ट को 934 दिनों की पैरोल, 163 फरलो बिपिन चंद्र जोशी को 909 दिनों की पैरोल, 170 फरलो प्रदीप मोढिया को 1,011 दिनों की पैरोल, 223 फरलो वकाभाई वदानिया को 807 दिनों की पैरोल, 191 फरलो राजीभाई सोनी को को 1,186 दिनों की पैरोल, 182 फरलो रमेशभाई चौहान को 1,198 दिनों की पैरोल, 378 फरलो
1,000 दिनों से ज्यादा बाहर रहे दोषी
मितेश भट्ट को को 734 दिनों की पैरोल, 234 फरलो और राधेश्याम शाह को 895 दिनों की पैरोल और 154 दिनों का फरलो मिला है। यानी ये कैदी सजा के दौरान कुल मिलाकर 1,000 से ज्यादा दिनों तक बाहर रहे हैं।
क्या होता है फरलो और पैरोल?
सजायाफ्ता कैदियों का मानसिक संतुलन बनाए रखने और जेल की नीरसता को तोड़ने के लिए फरलो दिया जाता है। एक बार में अधिकतम 14 दिनों तक फरलो दिया जा सकता है। यह मुजरिम का अधिकार होता है। वहीं पैरोल की बात करें तो यह एक प्रकार से अस्थायी रिहाई होती है। पैरोल के लिए कैदी अदालत से निवेदन कर सकता है। सारे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत पैरोल की अवधि निर्धारित करती है।
केंद्र की मंजूरी से रिहा हुए सभी दोषी
गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद रिहा किया, जबकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इनकी रिहाई का विरोध किया था। गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताया था कि इन दोषियों को अच्छे व्यवहार के चलते रिहाई दी गई है और केंद्र ने दो हफ्तों के भीतर इनकी रिहाई को मंजूरी दी थी।