फेसबुक की मदद से 37 साल बाद मिला व्यक्ति का परिवार, जानें पूरी कहानी
आज के इस सोशल मीडिया के दौर में अपडेट रहने, दोस्तों एवं अपने करीबियों से जुड़ने के लिए लोग कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं। फेसबुक भी उन्ही में से एक है। अब तक आपने फेसबुक का इस्तेमाल दोस्तों से बात करने और फोटो शेयर करने के लिए किया होगा, लेकिन हाल ही में फेसबुक की मदद से एक व्यक्ति लगभग चार दशकों बाद अपने परिवार से मिला। आइए जानें परिवार से व्यक्ति के मिलने की पूरी कहानी।
कोझिकोड में चार दशक बाद परिवार से मिले
हाल ही में एक नेक व्यक्ति के एक फेसबुक पोस्ट ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा के पास एकांत में जीवन गुज़ारने वाले एक बुज़ुर्ग व्यक्ति की मदद की है। दरअसल बुज़ुर्ग व्यक्ति लगभग चार दशकों के बाद केरल के कोझिकोड में अपने परिवार से मिले। बता दें कि मडावूर के वायालपिडिल मोहम्मद (Vayalpidiyil Mohammad) का परिवार पिछले कई स्थानों पर उनकी तलाश कर रहा था, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। मोहम्मद को आख़िरी बार 1982 में मडावूर में देखा गया था।
मोहम्मद के पोते भी हैं शादीशुदा
जब मोहम्मद अलग परिवार उस दूर हुए थे, समय उनकी पत्नी सात महीने की गर्भवती थीं। कुछ महीने बाद परिवार से उनका संपर्क टूट गया। परिवार ने कर्नाटक के हुबली में उनकी तलाश की, जहाँ वो काम करते थे, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला। धीरे-धीरे साल बीतते गए और मोहम्मद के बेटे-बेटियों की शादी हो गई। यहाँ तक कि अब उनके पोते भी शादीशुदा हैं। हर शादी और ख़ुशी के मौके पर मोहम्मद के परिवार ने उनको याद किया।
मोहम्मद ने 37 साल बाद व्यक्त की परिवार से मिलने की इच्छा
हाल ही में कर्नाटक के बेलागवी में बेकरी चलाने वाले पट्टाम्बी के रयीज़ का मोहम्मद से परिचय हुआ। काफ़ी समझाने के बाद मोहम्मद ने 37 साल बाद अपने बिछड़े हुए परिवार से मिलने की इच्छा व्यक्त की। मोहम्मद की कहानी को सामने लाने के लिए रयीज़ ने फेसबुक का इस्तेमाल किया। सोशल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म साईनुलबाडेन पर उनके एक मित्र ने पढ़ा और लोकतांत्रिक युवा जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सलीम मडावूर की मदद से मोहम्मद के परिवार का पता लगाया।
बेटे ने फोन पर की घर लौटने की प्रार्थना
इसके बाद सलीम, मोहम्मद के बच्चों और भाई को बेलागवी ले गए। यह मिलन आँसुओं भरा था, क्योंकि मोहम्मद के भाई ने उन्हें चार दशक पहले युवावस्था में काले बालों और ग्रे आँखों के साथ रोता हुआ देखा था। यह सोचकर कि घर के अन्य सदस्य उन्हें कैसे स्वीकार करेंगे, मोहम्मद घर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन बच्चों और भाई के कहने पर उनका मन बदल गया। उनके बेटे फ़ैसल ने उन्हें फोन किया और घर लौटने की प्रार्थना की।
नए सिरे से शुरू करना चाहते हैं जीवन
इस घटना के बाद सलीम ने कहा, "जहाँ इस समय लोग अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम छोड़ रहे हैं, मोहम्मद का परिवार उन्हें स्वीकार रहा है, जो कई वर्षों से अलग थे। यह वकाई हृदय विदारक है।" आपको जानकार हैरानी होगी कि 37 सालों से देश के अलग-अलग स्थानों की यात्रा के दौरान मोहम्मद ने नौ भाषाओं में महारत हासिल की, जिन्हें वह आसानी से बोलते हैं। अब मोहम्मद परिवार के साथ नए सिरे से जीवन शुरू करना चाहते हैं।