मध्य प्रदेश: रेप और हत्या के मामले में उम्रकैद मिलने के 10 साल बाद आरोपी बरी
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने महिला से रेप कर उसकी हत्या करने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आरोपी को 10 साल बाद सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
इस दौरान कोर्ट ने जांच अधिकारी की खिंचाई करते हुए कहा कि मामले में उनकी ढिलाई के कारण मृतका के साथ अन्याय हुआ है। जांच अधिकारी ने आरोपी ने गिरफ्तार करने के बाद सबूत तो जुटाए, लेकिन उनकी पुष्टि करने का कोई प्रयास नहीं किया।
प्रकरण
साल 2011 के रेप और हत्या के मामले में मिली थी उम्रकैद
न्यायिक अधिकारियों के अनुसार, साल 2011 में धार जिले में खेत में महिला की रेप के बाद हत्या करने का मामला सामने आया था।
पुलिस ने महिला के हाथों में आरोपी के बाल भी बरामद किए थे। इसके बाद मामले की जांच करते हुए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था और फास्ट ट्रैक कोर्ट में चालान पेश किया था।
पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर कोर्ट ने 2012 में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
अपील
आरोपी ने हाई कोर्ट में दी थी फैसले को चुनौती
फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को आरोपी ने हाई कोर्ट की इंदौर पीठ में चुनौती दी थी। उसके वकील ने दावा किया था कि उनके प्रार्थी को पुलिस ने मामले में गलत तरीके से फंसाया है और अपने ऊपर से दबाव करने के लिए उसे गिरफ्तार किया है।
इसके अलावा उन्होंने दलील दी कि अभियोजन पक्ष मौके पर मिले सबूतों को प्रार्थी के साथ जोड़ने में नाकाम रहा है। ऐसे में उसे सुनाई गई सजा पूरी तरह से गलत है।
फैसला
हाई कोर्ट ने 10 साल बाद किया बरी
आरोपी की अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पुलिस को मौके पर मिले सबूतों के याचिकाकर्ता के साथ संबंध स्थापित करने के लिए कहा था, लेकिन पुलिस ऐसा नहीं कर पाई।
इस पर जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए सबूतों के अभाव में याचिकाकर्ता को बरी कर दिया।
कोर्ट ने जेल प्रशासन को 10 साल से जेल में बंद याचिकार्कता को तत्काल प्रभाव से रिहा करने के आदेश दिए हैं।
टिप्पणी
कोर्ट ने जांच अधिकारी पर की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि रेप के बाद हत्या की शिकार महिला के हाथ से आरोपी के बाल बरामद हुए थे और वैज्ञानिक अधिकारी ने इसकी पुष्टि के लिए DNA मिलान जरूरी बताया था कि क्या वो बाल क्या पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के ही हैं।
इसके बाद भी जांच अधिकारी द्वारा DNA मिलान के कोई प्रयास नहीं किए गए जिससे पीड़िता के साथ घोर अन्याय हुआ है। उसका आरोपी आज भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है।
जानकारी
मामले की जांच में बरती गई उदासीनता- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि लगता है कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने और सबूत जमा करने की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जांच अधिकारी अपराध विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट को लेकर उदासीन बना रहा। इससे मामले में प्रगति नहीं हो पाई।