हिंसा के विरोध में JNU के प्रोफेसर चंद्रशेखर का केंद्र सरकार के पैनल से इस्तीफा
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर ने आर्थिक आंकड़ों की समीक्षा करने के लिए बने सरकारी पैनल से सोमवार को खुद को अलग कर लिया। उन्होंने यह फैसला मंगलवार को होने वाली पैनल की पहली बैठक से पहले लिया है। यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के बाद चंद्रशेखर ने पत्र लिखकर कहा, 'जिस यूनिवर्सिटी में मैं रहता हूं वहां के मौजूदा हालातों को देखते हुए मैं बैठक में शामिल नहीं हो पाउंगा।' आइये, पूरी खबर जानते हैं।
किस पैनल का हिस्सा थे प्रोफेसर चंद्रशेखर
दरअसल, सांख्यिकी मंत्रालय ने पिछले महीने पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन की अध्यक्षता में एक 28 सदस्यीय पैनल का गठन किया था। यह पैनल अर्थव्यवस्था से जुड़ी अवधारणा, परिभाषा, मानको, डाटा सोर्स आदि की समीक्षा के लिए बनाया गया था। सांख्यिकी के निर्धारण में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगने के लिए इसका गठन किया गया था। JNU में सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रोफेसर सीपी चंद्रशेखर इसी पैनल का हिस्सा थे।
प्रोफेसर चंद्रशेखर ने क्या प्रतिक्रिया दी?
NDTV से बात करते हुए चंद्रशेखर ने कहा, "जिस तरह JNU, जामिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हिंसा हुई, उससे मैं आहत हूं। मुझे नहीं लगता की इन हालातों में मौजूदा व्यवस्था के अधीन एक पारदर्शी और ठोस सांख्यिकी व्यवस्था तैयार की जा सकती है। मैं नागरिकता कानून और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर उठ रहे सवालों से भी चिंतित हूं।" उन्होंने रविवार को JNU में हुई हिंसा को परेशान करने वाली घटना बताया।
JNU में रविवार को क्या हुआ था?
JNU में बीते कई दिनों से छात्रों के बीच चल रहे विवाद ने रविवार को हिंसक रूप ले लिया। रविवार शाम को लगभग 50 नकाबपोश गुंडे लाठी-डंडे लेकर कैंपस में घुसे और जमकर उत्पात मचाया। उन्होंने छात्रों और अध्यापकों से मारपीट की और हॉस्टलों में तोड़फोड़ की। इस हमले में 34 छात्र और अध्यापक घायल हुए थे, जिन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। हिंसा के विरोध में देशभर की यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन जारी हैं।
साबरमती हॉस्टल के वार्डन का भी इस्तीफा
रविवार को हुई हिंसा के बाद JNU के साबरमती हॉस्टल के दोनों वार्डन ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे में वार्डन ने कहा कि उन्होंने यह कदम नैतिक आधार पर उठाया है क्योंकि वे हॉस्टल में रहने वालों को सुरक्षा नहीं दे पाए। वार्डन रामावतार मीणा ने अपने इस्तीफे में लिखा, 'मैं बताना चाहता हूं कि मैं साबरमती हॉस्टल के सीनियर वार्डन पद से इस्तीफा दे रहा हूं। हम कोशिश के बाद भी हॉस्टल की सुरक्षा नहीं कर सके।'