बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध में महाराष्ट्र सबसे आगे, उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी आने के बाद से भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं और इससे जुड़ा डाटा भी सामने आया है।
बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों के मामलों में महाराष्ट्र देश में सबसे आगे है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ओर से शेयर की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में साल 2019 और 2020 के बीच बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराध 196 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
रिपोर्ट
बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के इतने मामले
NCRB के मुताबिक, 18 साल से छोटे इंटरनेट यूजर्स के खिलाफ साइबर अपराध में महाराष्ट्र 2020 में सबसे आगे रहा।
यहां सबसे ज्यादा 207 मामले दर्ज किए गए और इसके बाद उत्तर प्रदेश 197 मामलों के साथ दूसरी पोजीशन पर रहा।
इसके बाद क्रम से कर्नाटक में 144, केरल में 126, उड़ीसा में 71 और आंध्र प्रदेश में 52 मामले दर्ज किए गए।
सभी कैटेगरी में दर्ज साइबर अपराध के कुल 50,035 मामलों में केवल 1,369 आरोपियों को सजा मिली।
खतरा
दोगुने हो गए साइबर अपराध के मामले
साल 2020 में भारत में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए साइबर अपराध के मामले 261 प्रतिशत (दोगुने से ज्यादा) बढ़ गए।
डाटा में सामने आया है कि दर्ज किए गए साइबर स्टॉकिंग जैसे मामलों में करीब 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
समझना जरूरी है कि भारत में होने वाले ज्यादातर साइबर अपराध के मामले दर्ज नहीं करवाए जाते और इनसे जुड़ा डाटा NCRB की ओर से नहीं शेयर किया गया है।
वजह
अचानक क्यों बढ़े साइबर अपराध के मामले?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि साइबर अपराध के मामलों में दर्ज की गई बढ़त के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान इंटरनेट पर बढ़ी निर्भरता जिम्मदार है।
इसके अलावा आरोप है कि बच्चों के माता-पिता ने उनकी ऑनलाइन ऐक्टिविटी को ठीक से मॉनीटर नहीं किया।
दरअसल, महामारी के चलते लॉकडाउन में सिर्फ इंटरनेट यूजर्स और बच्चे ही नहीं, साइबर अपराधी भी इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिता रहे थे और उनके पास शिकार बनाने के लिए ज्यादा यूजर्स थे।
वीडियो
आपत्तिजनक वीडियो अपलोड होने के मामले बढ़े
पिछले कुछ साल में बच्चों के आपत्तिजनक वीडियोज बनाने और इंटरनेट पर अपलोड करने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।
एक्सपर्ट्स ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बच्चे पूरे वक्त घरों में थे जिसके चलते ऐसे वीडियोज ज्यादा रिकॉर्ड किए गए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे ज्यादातर वीडियोज घर के सदस्यों या फिर पड़ोसियों की ओर से बनाए गए थे।
कई वीडियोज खुद बच्चों ने रिकॉर्ड किए थे, जो बाद में इंटरनेट पर शेयर किए गए।
बयान
इंटरनेट सुरक्षा से जुड़ी जागरूकता जरूरी
साइबर लॉयर प्रशांत माली ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा कि कई बच्चे पूरी तरह ऑनलाइन दुनिया के साथ तैयार हो रहे हैं और बाद में साइबर सेक्स जैसी ऐक्टिविटीज का हिस्सा बन जाते हैं।
प्रशांत ने कहा, "स्कूल स्तर पर साइबर सुरक्षा बारे में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब बच्चों को उनके करीबी ही अपराध का शिकार बनाते हैं और उनके डर का फायदा उठाते हैं।"
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
नॉर्टनलाइफलॉक की नॉर्टन साइबर सेफ्टी इनसाइट्स रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 59 प्रतिशत भारतीय वयस्क भी एक साल के अंदर किसी तरह के साइबरक्राइम का शिकार हुए हैं। वहीं, 36 प्रतिशत भारतीय वयस्क यूजर्स के अकाउंट या डिवाइस में अनऑथराइज्ड ऐक्सेस की बात सामने आई।