एक अरब से ज्यादा ब्लूटूथ डिवाइसेज 'ब्लूट्रैक फ्लॉ' से प्रभावित, हैकिंग का खतरा बरकरार
एंड्रॉयड और विंडोज 10 ऑपरेटिंग सिस्टम वाले डिवाइजेस में मौजूद ब्लूटूथ में कई खामियां और कमियां सामने आई हैं। ब्लूटूथ डिवाइसेज से जुड़ी खामियां दरअसल कई माइक्रोप्रोसेसर्स से जुड़ी हैं, जिनका इस्तेमाल दुनिया के कई टॉप टेक्नोलॉजी ब्रैंड्स अपने डिवाइसेज में कर रहे थे। रिसर्चर्स का मानना है कि ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने वाली एक अरब से ज्यादा डिवाइसेज पर इस खामी का असर हुआ है। इस खामी का फायदा हैकर्स और अटैकर्स को मिल सकता है।
रिसर्च में सामने आई ब्लूटूथ से जुड़ी खामी
ब्लूटूथ डिवाइसेज से जुड़ी खामी की जानकारी सिंगापुर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने अपने रिसर्च पेपर में दी है। रिसर्चर्स ने बताया है कि जिन डिवाइसेज का इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में हम करते हैं, उन्हें 16 अलग-अलग तरह की वल्नरेबिलिटीज प्रभावित कर सकती हैं। इन 16 वल्नरेबिलिटीज को रिसर्चर्स ने एकसाथ 'ब्रैकटूथ' नाम दिया है। ये अलग-अलग तरह की खामियां हैं, जो डिवाइसेज और उनकी परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकती हैं।
ये डिवाइसेज ब्रैकटूथ के चलते प्रभावित हुए
रिसर्च में बताया गया है कि सुरक्षा खामी ने स्मार्टफोन्स से लेकर कंप्यूटर्स जैसे ढेरों डिवाइसेज को प्रभावित किया है, जिन्हें हेडफोन्स, स्पीकर्स, माउस और कीबोर्ड जैसे डिवाइसेज से कनेक्ट करने के लिए ब्लूटूथ का इस्तेमाल किया जाता है। इस खामी का पता जिन माइक्रोप्रोसेसर्स में चला है, उनका इस्तेमाल क्वालकॉम, इंटेल और टेक्सास जैसी कंपनियां अपने चिपसेट्स में करती हैं। आपको बता दें, दुनिया के सबसे ज्यादा स्मार्टफोन्स और लैपटॉप्स इन्हीं कंपनियों के चिपसेट्स और प्रोसेसर्स इस्तेमाल करते हैं।
डिवाइस में मालिशस कोड रन कर सकते हैं हैकर्स
रिसर्चर्स ने 11 बड़े वेंडर्स के 13 चिप्स पर काम किया और पाया कि ब्रैकटूथ की ओर से किया जाने वाला डैमेज डिवाइस टाइप और इसमें इस्तेमाल होने वाले चिपसेट से जुड़ा है। कुछ डिवाइसेज में कम रिस्क होने के चलते उन्हें रीस्टार्ट कर फिक्स किया जा सकता था, वहीं ब्लूटूथ क्लासिक फ्लॉ के साथ हैकिंग अटैक्स भी किए जा सकते थे। हैकर्स कुछ डिवाइसेज में रिमोटली मालिशस कोड रन कर सकते थे और मालवेयर इंस्टॉल कर सकते थे।
चिपसेट मेकर्स को दी गई जानकारी
रिसर्चर्स ने बताया है कि ब्रैकटूथ खामी के चलते प्रभावित होने वाले प्रोडक्ट्स की जानकारी कंपनियों को रिसर्च पेपर पब्लिश होने से एक महीने पहले ही दे दी गई थी। यानी कि चिपसेट और डिवाइसेज बनाने वाली कंपनियों के पास इसे फिक्स करने के लिए पूरा वक्त था। हालांकि, इस खामी को लेकर बाकी कंपनियों ने अपने यूजर्स को कोई जानकारी नहीं दी है और संभव है, इसे पिछले सॉफ्टवेयर अपडेट्स में फिक्स कर दिया गया हो।
जरूरत ना होने पर ऑफ रखें ब्लूटूथ
संभव है कि ब्रैकटूथ जैसी खामी के साथ आपके डिवाइस को भी हैकिंग अटैक्स का शिकार बनाया जा सके, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। अटैकर्स ओपेन ब्लूटूथ कनेक्शन का फायदा उठा सकते हैं इसलिए जरूरत ना होने पर आपको स्मार्टफोन और लैपटॉप का ब्लूटूथ ऑफ रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा किसी अनजान डिवाइस के साथ ब्लूटूथ पेयरिंग रिक्वेस्ट आने पर उसे कभी एक्सेप्ट ना करें। डिवाइस को लेटेस्ट सॉफ्टवेयर वर्जन पर अपडेट रखना भी जरूरी है।