बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रेमी जोड़े को फटकारा, कहा- साथ रहने के लिए नहीं मिलेगी सुरक्षा
महाराष्ट्र की बॉम्बे हाई कोर्ट ने परिवार के खिलाफ जाकर प्रेम करने वाले एक अंतरधार्मिक जोड़े को साथ रहने के लिए पुलिस सुरक्षा देने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे की पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि पुलिस से सिर्फ इसलिए उनकी सुरक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि वे साथ रहना चाहते हैं। कोर्ट 20 वर्षीय मुस्लिम युवक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। युवक हिंदू लड़की से प्रेम करता है।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता मुस्लिम युवक और 19 वर्षीय युवती प्रेम करते हैं। युवती अपने माता-पिता को छोड़कर युवक के साथ चली गई थी, लेकिन बाद में माता-पिता की शिकायत पर पुलिस ने उसे आश्रय गृह में छोड़ दिया। इसके बाद युवक ने कोर्ट में याचिका दायर कर युवती को आश्रय गृह से रिहा करने और पुलिस सुरक्षा में उसके साथ रहने की इजाजत देने की मांग की। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि युवती के माता-पिता की शिकायत बजरंग दल से प्रभावित है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने युवती की उम्र का हवाला देते हुए कहा कि लड़की बालिग है और उसे माता-पिता के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। इस दौरान न्यायमूर्ति डांगरे ने युवक से पूछा, "अगर हम उसे (युवती को) छोड़ दें और वह आपके साथ रहने लगे तो उसकी सुरक्षा कौन करेगा?" आप चाहते हैं कि आपके घर के बाहर पुलिस बल तैनात किया जाए क्योंकि आप लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं?"
कोर्ट ने कही व्यावहारिक समाधान की बात
न्यायमूर्ति ने कहा, "मानो पुलिस के पास करने के लिए कुछ और बेहतर नहीं है। ऐसे में हम व्यावहारिक रूप से क्या कर सकते हैं? हमें व्यावहारिक समाधान बताइए। आप हमसे यह उम्मीद न करें कि हम आपको पुलिस सुरक्षा प्रदान करेंगे।राज्य के संसाधनों को उन व्यक्तिगत विकल्पों पर खर्च नहीं किया जा सकता जो सामाजिक मानदंडों को चुनौती देते हैं।" न्यायाधीशों ने सोशल मीडिया पर युवती के उत्पीड़न पर भी गौर किया और नाराजगी जताई।
माता-पिता से मिलने की इजाजत दी
कोर्ट ने युवती के पिता को आश्रय गृह में अपनी बेटी से मिलने की मंजूरी दी है ताकि युवती दोबारा से अपने फैसले को बता सके। हालांकि, कोर्ट ने युवती को याचिकाकर्ता युवक के साथ जाने और पुलिस सुरक्षा से देने से इंकार कर दिया।