महाराष्ट्र: अस्पतालों में मौतों पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, सरकार से मांगी रिपोर्ट
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर में राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में हुई मौतों को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। हाई कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार से पूरी जानकारी देने को कहा है। मामले पर कोर्ट 6 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
बता दें कि नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में पिछले 24 घंटों में 25 मरीजों की मौत हो चुकी है।
टिप्पणी
कोर्ट बोला- स्टाफ-दवाओं की कमी से मौतें होना स्वीकार नहीं
स्वत: संज्ञान का नोटिस जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि बिस्तर, स्टाफ और दवाओं की कमी की वजह से मौतें जारी नहीं रह सकती हैं। पीठ ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को निर्देश दिया कि 5 अक्टूबर को स्वास्थ्य पर खर्च के लिए बजट में आवंटित राशि की विस्तृत जानकारी जमा करें।
पत्र
वकील ने लिखा था पीठ को पत्र
अस्पताल में मौतों को लेकर वकील मोहित खन्ना ने पीठ को पत्र लिखा था। खन्ना ने मांग की थी कि कोर्ट इस मामले पर स्वत: संज्ञान लें।
इस पर कोर्ट ने खन्ना को निर्देश दिया था कि वह याचिका दायर करे, क्योंकि कोर्ट इस मामले में प्रभावी आदेश जारी करना चाहती है।
कोर्ट ने खन्ना से कहा कि वह अस्पतालों में स्टाफ की कमी, दवाओं की उपलब्धता, सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली राशि जैसी जानकारी इकट्ठी करें।
मौतें
3 दिनों में सरकारी अस्पतालों में हुई 74 मौतें
30 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच नांदेड़ के 2 अस्पतालों में 31 लोगों की मौत हुई हैं। इनमें कई बच्चे भी शामिल हैं।
नागपुर के 2 अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में पिछले 24 घंटों में 25 मरीजों की मौत हुई है।
छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 2-3 अक्टूबर के बीच 18 मरीजों की मौत दर्ज की गई है। पिछले 3 दिनों में लगभग 30 नवजात सहित कुल 74 लोगों की मौत हो चुकी है।
वजह
महाराष्ट्र के अस्पतालों में क्यों हो रही हैं मौतें?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि खरीद प्रक्रिया में समस्या के कारण पूरे महाराष्ट्र में सरकारी अस्पतालों को दवाओं की भारी कमी हो रही है। इसी कारण मरीजों की मौत हो रही है।
महाराष्ट्र मेडिकल गुड्स प्रोक्योरमेंट अथॉरिटी एक्ट इस साल मार्च में पारित हो गया, लेकिन अभी तक लागू नहीं हुआ है। नियमों में कई बदलाव के कारण हाफकिन बायोफार्मास्युटिकल को आपूर्ति बाधित हुई है , जो राज्य के अस्पतालों में दवाएं भेजती है।