बॉम्बे हाई कोर्ट का 17 वर्षीय लड़की को गर्भपात की अनुमति देने से इनकार, जानें मामला
क्या है खबर?
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने 24 सप्ताह की गर्भवती 17 वर्षीय लड़की को गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लड़की का गर्भवती होना सहमति से बनाए गए संबंध का नतीजा है और इस अवस्था में बच्चा जीवित पैदा होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि लड़की इसी महीने 18 वर्ष की हो जाएगी और वह पिछले साल दिसंबर से लड़के के साथ रिश्ते में थी।
मामला
लड़की ने अपनी मर्जी से बनाए थे शारीरिक संबंध- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि लड़की और लड़के के बीच कई बार शारीरिक संबंध बने थे। उसने कहा कि लड़की फरवरी में खुद गर्भावस्था किट लेकर आई थी, जिसके बाद उसके गर्भवती होने की पुष्टि हुई थी।
कोर्ट ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता की समझ पूरी तरह परिपक्व थी। यदि याचिकाकर्ता को गर्भधारण करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी तो वह गर्भावस्था की पुष्टि के तुरंत बाद गर्भपात की अनुमति मांग सकती थी।"
संज्ञान
हाई कोर्ट ने और क्या कहा?
हाई कोर्ट ने पीड़ित लड़की की जांच करने वाले मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि भ्रूण में कोई विसंगति नहीं है और विकास सामान्य है।
हाई कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की राय थी कि यदि इस चरण में गर्भावस्था को समाप्त कर दिया जाए तो पैदा होने वाले बच्चे में जीवन के लक्षण दिखाई देंगे, लेकिन वह स्वतंत्र रूप से जीवित रहने में सक्षम नहीं होगा।
याचिका
लड़की ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
लड़की ने अपनी मां के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के प्रावधानों के तहत खुद के एक नाबालिग होने का दावा करते हुए गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग की थी।
लड़की ने याचिका में दावा किया था कि वह भविष्य में डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई करना चाहती है और गर्भावस्था से उसके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता है।
नियम
क्या कहते हैं नियम?
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत, यदि यह साबित हो जाता है कि गर्भावस्था के दौरान मां या बच्चे के जीवन या स्वास्थ्य को खतरा है तो कोर्ट की अनुमति से 20 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है।
कुल मिलाकर 24 सप्ताह के गर्भ को गिराया जा सकता है। पहले यह आंकड़ा सिंगल महिलाओं के लिए 20 हफ्ते था, लेकिन 2021 में केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया।