निर्भया गैंगरेप केस में हैदराबाद एनकाउंटर का जिक्र कर ये बोले केंद्र सरकार के वकील
क्या है खबर?
निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी पर रोक के पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर रविवार को भी दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
इसमें केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हैदराबाद एनकाउंटर का उदाहरण दिया और न्यायिक व्यवस्था पर लोगों के कम होते भरोसे का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि दोषियों का एक-एक करके याचिका दायर करना कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोचा-समझा मंसूबा है।
पृष्ठभूमि
क्यों हो रही है दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई?
दरअसल, शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक दोषियों को फांसी देने पर रोक लगा दी थी।
शनिवार को केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद न्यायाधीश सुरेश कैयत की बेंच ने मामले में विशेष सुनवाई शुरू की।
अपनी याचिका में केंद्र सरकार ने कहा था कि दोषी फांसी टालने की अपनी कोशिशों से देश के सब्र की परीक्षा ले रहे हैं।
हैदराबाद एनकाउंटर
हैदराबाद एनकाउंटर का जिक्र कर ये बोले मेहता
शनिवार के बाद रविवार को भी विशेष सुनवाई जारी रही है और इस दौरान मेहता ने हैदराबाद एनकाउंटर का जिक्र किया।
उन्होने कहा कि मामले के चारों आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर सार्वजनिक जश्न देश की न्यायिक व्यवस्था के गिरते मूल्य का प्रतीक था।
उन्होंने कोर्ट से कहा कि दोषियों को फांसी न देने से समाज को एक गलत संदेश जाएगा और उसकी कार्यकारी शक्ति दांव पर है।
हैदराबाद रेप कांड
क्या था हैदराबाद एनकाउंटर?
पिछले साल नवंबर में तेलंगाना के हैदराबाद में सरकारी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था।
इस घटना ने सबके मन में निर्भया केस की यादें ताजा कर दी थीं और देश के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए थे।
मामले के चारों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उन्हें सुबह 3:30 बजे घटनास्थल पर लेकर गई थी।
इस दौरान आरोपियों ने भागने की कोशिश की और वो मुठभेड़ में मारे गए।
निर्भया केस सुनवाई
मेहता बोले, जानबूझकर याचिका दायर नहीं कर रहा पवन गुप्ता
मेहता ने दोषियों के एक-एक करके याचिका दायर करने पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि चौथा दोषी पवन गुप्ता जानबूझकर क्यूरेटिव पिटिशन या दया याचिका नहीं दायर कर रहा है और ये सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।
उन्होंने दोषियों के एक-एक करके याचिका दायर करने को फांसी को टाल कर कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोचा-समझा मंसूबा बताया।
उन्होंने कोर्ट से कहा कि दोषियों को फांसी न देने से समाज में एक गलत संदेश जाएगा।
जानकारी
दोषियों के वकील ने दी ये दलील
वहीं मुकेश सिंह को छोड़कर बाकी दोषियों की तरफ से पेश हुए वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि दोषी गरीब, ग्रामीण और दलित परिवारों से संबंध आते हैं और उन्हें कानून में अस्पष्टता का शिकार नहीं बनाया जा सकता।
सुनवाई
"कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं दोषी"
इससे पहले शनिवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि भारत के इतिहास में ये केस ऐसे मामले के तौर पर दर्ज होगा जिसमें एक जघन्य अपराध के दोषियों ने देश के सब्र की परीक्षा ली और लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।
उन्होंने कहा कि दोषी एक-एक कर कानूनी बचाव के रास्ते अपना रहे हैं, ताकि इस जघन्य अपराध की सजा से बच सकें।
कानूनी विकल्प
किस दोषी के पास कितने कानूनी विकल्प बचे?
निर्भया गैंगरेप के दो दोषियों- मुकेश सिंह और विनय शर्मा- के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। राष्ट्रपति भी उनकी दया याचिका खारिज कर चुके हैं।
तीसरे दोषी अक्षय कुमार ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है और अगर ये खारिज हो जाती है तो उसके भी सारे कानूनी विकल्प खत्म हो जाएंगे।
आखिरी दोषी पवन गुप्ता के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन और राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के दोनों विकल्प बचे हुए हैं।