निर्भया कांड: 2013 से अब तक कैसे चला याचिकाओं का सिलसिला?
क्या है खबर?
निर्भया कांड में 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी।
2017 से 2020 आ गया है और चारों को फांसी होना अभी भी बाकी है। इस बीच दो बार इनकी फांसी के लिए ब्लैक वारंट जारी हो चुका है और दोनों ही बार फांसी टल गई है।
मुकदमे की शुरुआत से लेकर अब तक इसमें याचिकाओं का सिलसिला चल रहा है।
सजा
2013 में ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
इस मामले का ट्रायल फास्ट ट्रैक कोर्ट में 17 जनवरी, 2013 से शुरू हुआ था। सितंबर, 2013 में ट्रायल कोर्ट ने चारों को फांसी की सजा सुना दी।
इस फैसले के 10 दिन बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की। मार्च, 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए चारों की फांसी की सजा बरकार रखी।
दोषियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने चारों को फांसी देने के आदेश पर रोक लगा दी। मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष बेंच बनाई। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2017 में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए चारों की फांसी की सजा बरकरार रखी।
देरी
छह महीने बाद दायर हुई पहली पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद से दोषियों के वकील लगातार राहत की उम्मीद में याचिकाएं दायर कर रहे हैं ताकि फांसी देने में देर हो सके।
कानून के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद 30 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका देनी होती है, लेकिन अगर दोषी कोई संतोषजनक जवाब देता है तो इसके बाद भी याचिका स्वीकार की जा सकती है।
दोषी मुकेश ने छह महीने बाद पुनर्विचार याचिका दायर की।
देरी
चौथे दोषी ने डेढ़ साल बाद दायर की पुनर्विचार याचिका
मुकेश की याचिका खारिज होने के कुछ दिन बाद विनय और पवन ने याचिका दायर की।
जुलाई, 2018 तक ये याचिकाएं खारिज हो गईं, लेकिन मामले में चौथे दोषी अक्षय ने दिसंबर, 2019 तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की।
बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने अक्षय की याचिका में हुई देरी के पीछे उसकी मां की मौत का कारण दिया। सिंह ने बताया कि अक्षय गरीब परिवार से आता है और उसके पास संसाधनों की कमी है।
निर्भया कांड
पुनर्विचार याचिका में दोषी के अजीब तर्क
पुनर्विचार याचिका में अक्षय ने कहा कि पहले लोग 100 साल तक जीते थे, लेकिन आजकल जीवन काल 50-60 साल हो गया है। ऐसे में वह कुदरती मौत मर जाएगा और उसे फांसी देने का कोई औचित्य नहीं है।
उसने कोर्ट को बताया कि दिल्ली की हवा गैस चैंबर जैसी है और पानी जहरीला है। इससे उसकी जिंदगी कम हो रही है।
कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी कि इसे सुनने का कोई आधार नहीं है।
कानूनी विकल्प
पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने के बाद दोषियों के पास थे ये विकल्प
अक्षय की याचिका खारिज होने के बाद से दोषियों की तरफ से याचिकाएं दायर करने का सिलसिल बढ़ गया है।
पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद चारों के पास क्यूरेटिव पिटिशन, राष्ट्रपति के पास दया याचिका और दया याचिका खारिज होने के बाद उस पर पुनर्विचार याचिका का विकल्प था।
साथ ही कानून के तहत राष्ट्रपति से याचिका खारिज होने की स्थिति में फांसी लटकाने के लिए 14 दिन का समय दिया जाना जरूरी है।
जानकारी
चारों दोषियों को साथ फांसी देना जरूरी
कानून में यह भी प्रावधान है कि एक मामले में सजा पाए दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती। कानूनी तौर पर इन चारों को एक साथ फांसी देना जरूरी है।
कानूनी विकल्प
अब किस दोषी के पास क्या विकल्प बचे हैं?
इस मामले में मुकेश के सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। उसके विकल्प खत्म होने के बाद विनय ने दया याचिका दायर की। उसके भी सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं, जबकि अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है।
वहीं चौथे दोषी पवन के पास अभी तक तीनों विकल्प बचे हैं। उसने अभी तक क्यूरेटिव पिटिशन दायर नहीं की है।
माना जा रहा है कि फांसी को टालने के लिए वह समय ले रहा है।
दर्द
दोषियों को फांसी होने तक लड़ाई जारी रहेगी- आशा देवी
1 फरवरी को दोषियों की फांसी टलने के बाद निर्भया की मां ने कहा था कि दोषियों का वकील उन्हें चुनौती देकर गया था कि यह फांसी अनंतकाल तक नहीं होगी।
उन्होंने कहा, "सरकार और कोर्ट हमें बार-बार मुजरिमों के सामने झुका रही है। उनका वकील हमें चैलेंज करके गया है। सरकार और कोर्ट दोषियों को मौका दे रही है। मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगी। सरकार को दोषियों को फांसी देनी ही होगी।"
मामला
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामला?
16 दिसंबर, 2012 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय निर्भया के साथ छह लोगों ने दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया था।
आरोपियों ने इस दौरान हैवानियत की सारे हदें पार कर दी थीं और बुरी तरह से घायल निर्भया और उसके दोस्त को सड़क किनारे फेंक कर भाग गए थे।
इलाज के दौरान छात्रा ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे।