जानें अब से दिल्ली के अस्पतालों में इलाज के लिए कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी होंगे
सोमवार को दिल्ली सरकार ने ऐलान किया था कि अगले कुछ महीने दिल्ली सरकार के अस्पतालों और चुनिंदा निजी अस्पतालों को छोड़ शहर के सभी निजी अस्पतालों में केवल दिल्ली के लोगों का इलाज किया जाएगा। अब दिल्ली सरकार ने उन दस्तावेजों की सूची जारी की है जिनकी दिल्लीवासियों के लिए आरक्षित इन अस्पतालों में इलाज के लिए जरूरत पड़ेगी। वोटर कार्ड समेत इन दस्तावेजों के जरिए ये साबित करना होगा कि मरीज दिल्ली का रहने वाला है।
केजरीवाल ने कल किया था बेड आरक्षित करने का ऐलान
कल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ऐलान किया था कि दिल्ली सरकार के जो अस्पताल हैं, वे केवल दिल्ली के लोगों के लिए आरक्षित रहेंगे। इसके अलावा विशेष सर्जरी करने वाले निजी अस्पतालों के अलावा शहर के अन्य सभी निजी अस्पतालों को भी दिल्लीवालों के लिए आरक्षित किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कोई भी व्यक्ति इलाज करा सकेगा। इन अस्पतालों में लगभग 10,000 बेड हैं।
आरक्षित अस्पतालों में इलाज के लिए दिखाने होंगे ये दस्तावेज
अब दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंगला ने आदेश जारी कर सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम से इसका पालन सुनिश्चित करने को कहा है। आदेश के अनुसार, आरक्षित अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों को वोटर कार्ड, बैंक या पोस्ट ऑफिस पासबुक, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, इनकम टैक्स रिटर्न, मरीज या उसके माता-पिता और पति-पत्नी के नाम पर टेलीफोन या बिजली का बिल, पोस्टल डिपार्टमेंट की पोस्ट और 7 जून से पहले जारी किया गया आधार कार्ड दिखाना होगा।
नाबालिग मरीज के माता-पिता के दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत
अगर कोई मरीज नाबालिग है तो उसके माता-पिता के नाम के मान्य दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी। अभी आदेश को अंतिम मंजूरी के लिए दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजा जाना बाकी है।
विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के आधार पर लिया गया है फैसला
बता दें कि दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को दिल्लीवासियों के लिए आरक्षित करने का फैसला चिकित्सा विशेषज्ञों की एक पांच सदस्यीय टीम की सिफारिश पर लिया है। समिति ने अनुमान लगाया है कि कोरोना वायरस के कारण जून के अंत तक दिल्ली को 15,000 बेडों की जरूरत पड़ेगी, वहीं मध्य जुलाई तक 42,000 बेडों की जरूरत पड़ेगी। दिल्ली सरकार का कहना है कि अगर दिल्ली में बाहरी लोगों को भर्ती किया जाएगा तो उसके यहां बेडों की कमी पड़ जाएगी।
बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने बंद रखी थी सीमाएं
बाहरी लोगों को दिल्ली आकर इलाज कराने से रोकने के लिए ही दिल्ली सरकार ने जून के पहले हफ्ते में शहर की सभी सीमाओं को बंद कर दिया था। अब अस्पतालों को दिल्लीवासियों के लिए आरक्षित करने के बाद आज से सीमाओं को फिर से खोल दिया गया है और उत्तर प्रदेश और हरियाणा से लोग दिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा शहर के शॉपिंग मॉल्स, रेस्टोरेंट्स और धार्मिक स्थलों को भी आज से खोल दिया गया है।
दिल्ली में चिंताजनक है स्थिति
दिल्ली में पिछले कई दिनों से 1,000 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं और 28,000 से अधिक लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जा चुका है। इनमें से 812 लोगों की मौत हुई है और हालिया दिनों में मौतों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। रविवार को शहर में 1,282 नए मामले सामने आए और 51 लोगों की मौत हुई। जानकारों का कहना है कि शहर के कुछ इलाकों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है।