लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन परीक्षाओं का विरोध क्यों कर रहे हैं छात्र?
कोरोना वायरस महामारी के कारण देश भर के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज ऑनलाइन परीक्षा कराने पर विचार कर रही हैं, जिसका सभी छात्र विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मध्य मार्च से कॉलेज बंद होने के वजह से सिलेबस भी पूरा नहीं हो पाया। अधिकांश यूनिवर्सिटीज ने ऑनलाइन क्लासेज से सिलेबस पूरा कराने की कोशिश भी की है, लेकिन लैपटॉप और इंटरनेट की कमी के कारण सभी छात्र इन क्लासेज का लाभ नहीं उठा पाएं हैं।
कब होंगी परीक्षाएं?
बता दें कि कई यूनिवर्सिटीज छात्रों को ऑफलाइन मोड में परीक्षा देने का भी विकल्प दे रही हैं। हालांकि, अभी यह नहीं बताया गया है कि यूनिवर्सिटीज के छात्रों की परीक्षाएं कब होंगी और रिजल्ट कब जारी किया जाएगा।
छात्रों के पास नहीं हैं खुद के लैपटॉप
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (DTU) के एक छात्र का कहना है कि उसका कैंपस प्लेसमेंट हो गया है और अगस्त-सितंबर में ज्वाइनिंग के समय उसे पास सर्टिफिकेट चाहिए होगा। वो अभी उत्तर प्रदेश के गांव में हैं जहां लगातार दो घंटे तक अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी का आना मुश्किल है और उसके पास लैपटॉप भी नहीं है। ऐसे में अगर ऑनलाइन परीक्षा हुई तो वो पास नहीं हो पाएगा और इसका असर नौकरी पर भी पड़ेगा।
बिना स्टडी मैटेरियल कैसे करें तैयारी?
NIT सूरत के छात्र ने बताया कि अंतिम वर्ष के 900 छात्रों में से लगभग 700 छात्र हॉस्टल में रहते हैं। जब उन्हें हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया तो वे हड़बड़ी में ज्यादातर कपड़े और जरूरी सामान ही अपने साथ ले गए। उनके लैपटॉप, किताबें और नोट्स सभी हॉस्टल में ही हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम वर्ष की परीक्षा में पिछले साल का सिलेबस भी आता है और उसकी तैयारी के लिए उनके पास स्टडी मैटेरियल नहीं है।
सभी छात्रों के पास नहीं हैं ये सुविधाएं
हॉस्टल से कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में गए छात्रों को कई दिकत्तें हो रही हैं और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोग भी ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए सहमत नहीं हैं। इसके लिए एक लैपटॉप या कंप्यूटर होना चाहिए, जिसमें वेब कैमरा लगा हो। परीक्षा के दौरान लगातार बिजली होनी चाहिए, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी समस्या हमेशा रहती है। साथ ही छात्रों को एक कमरा भी चाहिए होगा, जहां वे आराम से परीक्षा दे सकें।
शिक्षक भी कर रहे विरोध
छात्रों के साथ-साथ शिक्षक भी ऑनलाइन परीक्षा के विचार से सहमत नहीं हैं और लगातार इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (DUTA) ने कई बार कहा है कि ऑनलाइन परीक्षाएं पक्षपाती और डिजिटल भेदभाव को बढ़ावा देने वाली होती हैं। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) की ओपन-बुक परीक्षा सहित ये सभी परीक्षाएं सिलेबस की संरचना के अनुकूल नहीं हैं।
ऑफलाइन परीक्षा के लिए सहमत नहीं हैं छात्र
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (SPPU) और एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म (ACJ) जैसे अन्य संस्थानों ने ऑफलाइन परीक्षाएं करने की घोषणा की थी। संस्थानों के इस फैसले से भी छात्र खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि अभी सिलेबस ही पूरा नहीं किया गया है। एक छात्र ने बताया कि हाल ही में एक परिपत्र जारी किया गया है, जिसके अनुसार परीक्षा में केवल 60 प्रतिशत सिलेबस ही आएगा। ऐसे मे बिना सिलेबस पूरा किए परीक्षा देनी होगी।
बिना परीक्षा ही छात्रों को प्रमोट करने की हो रही मांग
एक ऑनलाइन याचिका वेबसाइट में ऑनलाइन परीक्षा के खिलाफ कम से कम दर्जनों याचिकाएं दी हैं। ऑनलाइन परीक्षा के बिना ही छात्रों को पिछले वर्ष के प्रदर्शन और 10 प्रतिशित अधिक नंबर देकर प्रमोट करने के लिए दायर याचिका पर अब तक एक लाख से अधिक हस्ताक्षर हो चुके हैं। बता दें कि सबसे ज्यादा याचकाएं महाराष्ट्र से दायर की गई हैं और छात्रों को इंटरनल असेस्मेंट के आधार पर प्रमोट करने की मांग की जा रही है।