राजस्थान: निजी अस्पताल में रेमडिसिवीर की जगह लगाया ग्लूकोज का इंजेक्शन, महिला मरीज की मौत
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग बढ़ने के बाद इनकी कालाबाजारी शुरू हो गई है। कई जगहों पर तो अस्पतालों में कालाबाजारी के लिए मरीजों के परिजनों द्वारा लाए गए इंजेक्शन को रखकर उसकी जगह ग्लूकोज इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। ऐसा ही मामला सामने आया है राजस्थान के कोटा जिले से, जहां एक निजी अस्पताल में रेमडेसिवीर की जगह ग्लूकोज का इंजेक्शन लगाने से कोरोना संक्रमित महिला मरीज की मौत हो गई।
अस्पताल प्रबंधन ने महिला मरीज को लगाया था ग्लूकोज का इंजेक्शन
इंडिया टुडे के अनुसार कोटा निवासी माया रोहिड़ा को कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद शहर के श्रीजी निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने परिजनों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा था। इसके बाद जब परिजन इंजेक्शन ले आए तो चिकित्साकर्मियों ने उन्हें अपने पास रखकर उसकी जगह माया को ग्लूकोज का इंजेक्शन लगा दिया। इससे 14 मई को माया की मौत हो गई।
रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़े गए थे नर्सिंगकर्मी
घटना के अगले दिन माया के लिए लाया गया रेमडेसिवीर इंजेक्शन चुराने वाले नर्सिंगकर्मी मनोज रेगर ने अपने भाई राकेश के साथ उसकी कालाबाजारी करने में लगे हुए थे। उस दौरान पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। जांच में सामने आया कि उन्होंने माया और एक अन्य मरीज के लिए आए रेमडेसिवीर इंजेक्शन चुरा लिए थे और दोनों मरीजों को उसकी जगह ग्लूकोज का इंजेक्शन लगा दिया था। इसको लेकर उनके खिलाफ महावीर नगर थाने में मामला दर्ज किया गया है।
अस्पताल निदेशक और चिकित्साकर्मियों के खिलाफ दर्ज हुआ हत्या का मामला
जवाहर नगर थाने के निरीक्षक रामकिशन वर्मा ने बताया कि मृतका माया के पुत्र पुनीत रोहिड़ा की शिकायत के आधार पर अस्पताल के प्रबंध निदेशक राकेश जिंदल, नर्सिंग स्टाफ मनोज रेगर, राकेश रेगर और बृजमोहन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304A (गैर इरादतन हत्या), 420 (धोखाधड़ी) और 120 (B) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि जांच जारी है और अन्य मामलों से संबंध स्थापित किया जा रहा है।
लाए गए इंजेक्शन नहीं लगाने से हुई मां की मौत- पुनीत
मृतका बेटे पुनीत ने आरोप लगाया कि उनकी मां के इलाज के लिए जो भी दवा चिकित्सकों ने लिखी वो लेकर आए थे, लेकिन नर्सिंगकर्मियों ने रेमडेसिवीर की जगह ग्लूकोज का इंजेक्शन लगा दिया। उन्होंने कहा कि उनकी मां को शुगर की शिकायत भी थी। ऐसे में ग्लूकोज का इंजेक्शन लगाने से उसकी तबीयत बिगड़ गई और बाद में मौत हो गई। उन्होंने कहा कि उनकी मां की हत्या अस्पताल में की गई है और दोषियों को फांसी होनी चाहिए।
एक अन्य मरीज की हालत है गंभीर- पुलिस
पुलिस ने बताया कि चिकित्साकर्मियों ने दो मरीजों को रेमडेसिवीर की जगह ग्लूकोज का इंजेक्शन लगाया था। इससे माया की मौत हो गई, जबकि रतनलाल नाम के दूसरे मरीज की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। उस पर पूरी नजर रखी जा रही है।
अचानक बढ़ी मांग से आई रेमडेसिवीर की किल्लत
बता दें कि फरवरी में देश में कोरोना संक्रमण के मामलों के अचानक आए उछाल से रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग अचानक बढ़ गई थी। इससे बाजार में इसकी किल्लत शुरू हो गई। हालात यह हो गए कि लोगों ने इसका स्टॉक कर कालाबाजारी शुरू कर दी। इसके बाद केंद्र सरकार ने 11 अप्रैल को इसके निर्यात पर रोक लगा दी। सरकार के अनुसार रेमडेसिवीर इंजेक्शन के निर्यात पर देश में संक्रमण की स्थिति स्थिर होने तक प्रतिबंध जारी रहेगा।