राजौरी के शहीदों की दास्तां; घोड़ी चढ़ने वाले थे सचिन, मासूम बेटी छोड़ गए माजिद
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में भारतीय सेना और आतंकवादियों के बीच बीते 2 दिनों से चल रही मुठभेड़ खत्म हो गई है। इसमें भारतीय सेना ने अपने 5 बहादुर जवानों को खो दिया। आतंकियों से लोहा लेते हुए अपनी जान न्योछावर करने वालों में कर्नाटक के कैप्टन एमवी प्रांजल, आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता, अलीगढ़ के सचिन लौर, जम्मू-कश्मीर के अब्दुल माजिद और उत्तराखंड के लांस नायक संजय बिष्ट शामिल हैं। आइए इन वीरों की कहानी जानते हैं।
अपने पीछे 8 साल की बेटी छोड़ गए माजिद
शहीद हवलदार अब्दुल माजिद 2008 में सेना में भर्ती हुए थे। उनकी 8 साल की एक बेटी और 13 और 15 साल के 2 बेटे हैं। माजिद के पिता मोहम्मद रशीद किसानी करते हैं। माजिद के पिता कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। माजिद ने आखिरी बार अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी। तब उन्होंने कहा था कि वे जल्द ही घर आएंगे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
सेना में भर्ती होना चाहता है माजिद का बेटा
माजिद के चाचा ने कहा कि परिवार के 30 से 40 लोग सेना में हैं। 2017 में माजिद के मौसेरे भाई नासीर भी पुंछ के तरकुंडी में शहीद हो गए थे। माजिद के 15 साल के बेटे साहिल ने कहा, "मैं भी पापा की तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता हूं। पापा जब भी घर आते थे तो कहते थे कि जल्दी से बड़े होकर मेरी तरह देश सेवा के लिए तैयार हो जाओ।"
2 साल पहले हुई थी कैप्टन प्रांजल की शादी
कर्नाटक के मंगलुरु के रहने वाले कैप्टन प्रांजल की शादी 2021 में हुई थी। उनकी पत्नी IIT से PhD की पढ़ाई कर रही हैं। प्रांजल पायलट बनने की इच्छा रखते थे, लेकिन ऊंचाई कम होने की वजह से सेना में चले गए। उन्होंने ऑपरेशन पर जाने से पहले अपनी पत्नी से बात की। तब उन्होंने कहा था कि वे ऑपरेशन के लिए जा रहे हैं और अब गुरुवार को बात कर पाएंगे।
छुट्टियां मनाकर 2 हफ्ते पहले ही लौटे थे संजय बिष्ट
उत्तराखंड के नैनीताल के रहने वाले संजय बिष्ट 12 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। अक्टूबर में अपने दादा के निधन पर वे घर आए थे। 4 नवंबर को छुट्टी पूरी होने के बाद वे दोबारा ड्यूटी पर लौटे थे। मुठभेड़ शुरू होने से एक दिन पहले ही उन्होंने अपने परिवार से फोन पर बात की थी। संजय के परिवार में पिता दीवान सिंह, मां मंजू, बहन ममता और भाई विनीत शामिल हैं।
8 दिसंबर को होनी थी सचिन की शादी
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले सचिन लौर की 8 दिसंबर को शादी होनी थी। उन्होंने आखिरी बार अपने पिता से फोन पर बात करते हुए कहा था कि पहले जीत का सेहर पहनकर आऊंगा और फिर शादी का सेहरा पहनूंगा। शहादत से पहले सचिन ने अपने भाई से बात करते हुए कहा था कि ऑपरेशन चल रहा है और उसे पूरा करके ही आऊंगा। सचिन के घर में शादी की सारी तैयारियां धरी रह गईं।
शुभम अक्सर गुनगुनाते थे 'तेरी मिट्टी में मिल जावां...'
आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता के पिता जिला शासकीय अधिवक्ता (DGCA) हैं। शुभम के भाई नरेश गुप्ता ने कहा कि जब शुभम कमांडो बने तो उन्होंने कहा था कि इसमें ज्यादा खतरा रहता है। इस पर शुभम ने जवाब दिया कि आसान काम किसे करना है, देखना एक दिन पूरा देश सलाम करेगा। शुभम को गाने का शौक था और अक्सर 'तेरी मिट्टी में मिल जावां...' गाने को गुनगुनाते थे।