निभा को IIT में नहीं मिला एडमिशन तो खोल ली कोचिंग, करा रहीं इंजीनियरिंग-डॉक्टरी की पढ़ाई
बिहार के पटना शहर में रहने वाली निभा शर्मा का IIT में पढ़ने लेने का सपना था। इसके लिए उन्होंने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मेन पास भी कर ली, लेकिन अगले चरण की परीक्षा यानी JEE एडवांस्ड में वे कुछ अंकों से कट-ऑफ पार नहीं कर सकीं और उनका एडमिशन IIT में नहीं हो सका। लेकिन अब वह दूसरे छात्रों का यह सपना पूरा करा रहीं हैं और खुद लगभग 90 छात्रों की शिक्षक बन गई हैं।
BSc और MSc में गोल्ड मेडलिस्ट हैं निभा
IIT में एडमिशन का सपना संजोए जब निभा ने अपने पिता से अगले साल की तैयारी के लिए अनुमति मांगी तो उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में उसका एक साल और बर्बाद हो जाएगा। इसके बाद निभा के पिता ने उसका एडमिशन पटना साइंस कॉलेज में करा दिया जहां से उन्होंने BSc और MSc की पढ़ाई की और दोनों डिग्रियों में उन्हें गोल्ड मेडल ने सम्मानित किया गया।
JEE एडवांस्ड में आठ अंकों से रह गई थीं निभा
देश में हजारों-लाखों युवाओं का सपना होता है कि वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भारत के प्रतिष्ठित संस्थान IIT में एडमिशन लें, लेकिन यह सपना कुछ ही पूरा कर पाते हैं। निभा ने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा, "मैं आठ अंकों से पीछे रह गई थी और JEE एडवांस्ड के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी। मेरा IITian बनने का सपना टूट गया क्योंकि मेरा परिवार नहीं चाहता था कि मैं एक और प्रयास करूं।"
JEE-NEET की तैयारी कर रहे छात्रों को लगभग 8-10 घंटे देती हैं निभा
24 वर्ष की निभा आगे कहती हैं कि वह यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रही हैं कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे किशोरों को वह मौका दिया जाए जो उन्हें कभी नहीं मिला। अपनी कोचिंग में वह नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) और JEE की तैयारी कर रहे छात्रों पर लगभग 8 से 10 घंटे बिताती हैं जिससे वह प्रवेश परीक्षा में बेहतर से बेहतर अंक प्राप्त कर सकें।
'तैयारी के लिए एक और मौका मिलता तो शायद मैं सपनों के कॉलेज में पढ़ पाती'
निभा के मुताबिक, मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए लड़कियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, "मेरे परिवार ने मुझे एक बार मौका दिया, लेकिन वे एक और साल के लिए मेरी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सके। हो सकता है कि अगर मेरे परिवार की स्थिति बेहतर होती और समाज लड़कियों को इंजीनियर बनने के लिए समान रूप से ऊपर उठाता तो मैं अगले प्रयास में अपने सपनों के कॉलेज से पढ़ाई कर पाती।"
PhD करना चाहती हैं निभा
निभा ने कहा कि उन्हें छात्रों को पढ़ाना पसंद है, लेकिन उनका लक्ष्य बड़ा है। निभा ने कहा, "मैं सुबह 8 बजे से लेकर रात 9 बजे तक छात्रों को पढ़ाती हूं। मुझे इन छात्रों को जीवन में कुछ हासिल करते हुए देखना अच्छा लगता है, लेकिन मैं अभी जो कर रही हूं उससे वास्तव में संतुष्ट नहीं हूं। मैं अब भविष्य में PhD करने की तैयारी कर रही हूं।"