कर्नाटक: MUDA भूमि घोटाले की लोकायुक्त जांच में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया निर्दोष साबित, नहीं मिला कोई सबूत
क्या है खबर?
कर्नाटक में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के कथित भूमि घोटाला मामले में हुई लोकायुक्त की जांच में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी निर्दोष साबित हुए हैं।
तीन भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं में से एक शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को भेजे नोटिस में लोकायुक्त ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
कृष्णा ने पिछले वर्ष राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की थी।
जांच
शिकायतकर्ताओं को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय
लोकायुक्त ने कृष्णा को नोटिस का जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है, जिसके बाद भ्रष्टाचार विरोधी संस्था अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी।
हालांकि, सिद्धारमैया और उनकी पत्नी बीएम पार्वती जांच के दायरे में रहेंगे और कोर्ट को एक पूरक रिपोर्ट दी जाएगी।
विशेष कोर्ट के आदेश पर कथित घोटाले की जांच शुरू करने वाले लोकायुक्त का कहना है कि सबूतों के अभाव में किसी के खिलाफ भी आरोप साबित नहीं किए जा सके हैं।
विवाद
क्या है MUDA भूमि घोटाला मामला?
सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास कर्नाटक के मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दी थी।
इस जमीन को MUDA ने विकास के लिए अधिग्रहित किया था, जिसके बदले पार्वती को विजयनगर तीसरे और चौथे चरण के लेआउट में 38,283 वर्ग फीट की जमीन दी गई।
आरोप है कि केसारे गांव की तुलना में इस जमीन की कीमत काफी ज्यादा है। मामले में ED जांच कर रही।
शिकायत
RTI कार्यकर्ता ने दर्ज कराई थी शिकायत
सूचना का अधिकार (RTI) कानून कार्यकर्ता कृष्णा ने मामले में लोकायुक्त, CBI या किसी अन्य एजेंसी से जांच की मांग की थी, जिसके बाद एक विशेष कोर्ट ने सितंबर, 2024 को लोकायुक्त पुलिस को जांच सौंपी।
आरोप था कि मैसूर के बाहरी इलाके में जमीन के बदले एक पॉश इलाके में भूखंड देने से राज्य को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मामले में सिद्धारमैया, पार्वती, उनके बेटे एस यतींद्र और शहरी विकास निकाय के वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप था।