कर्नाटक: अज्ञात लोगों ने की चर्च में तोड़फोड़, ईसा मसीह की मूर्ति को पहुंचाया नुकसान
कर्नाटक के मैसूर में बीते दिन कुछ अज्ञात लोगों ने एक चर्च में तोड़फोड़ की। आरोपियों ने इस दौरान ईसा मसीह की मूर्ति को भी नुकसान पहुंचाया। क्रिसमस के दो दिन बाद पेरियापटना स्थित सेंट मैरी चर्च में यह घटना हुई। मामले की शिकायत मिलने पर पुलिस ने फरार आरोपियों की तलाश के लिए कई टीमें गठित की हैं। चर्च परिसर के बाहर लगे CCTV कैमरों की फुटेज को भी चेक किया जा रहा है।
पिछले दरवाजे को तोड़कर चर्च में घुसे थे हमलावर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अज्ञात हमलावर मंगलवार शाम करीब 06:00 बजे पिछले दरवाजे को तोड़कर चर्च में घुसे थे। इसकी सूचना एक कर्मचारी ने पादरी को दी। मैसूर पुलिस अधीक्षक सीमा लातकर ने बताया, "हम आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज की जांच कर रहे हैं, ताकि हमलावरों की पहचान हो सके। प्रथमदृष्टया यह चोरी का मामला लग रहा है क्योंकि वे पैसे लेकर फरार हुए हैं और चर्च के बाहर रखा 'दान पात्र' भी गायब है।"
इन राज्यों में भी हुई चर्च और मिशनरी स्कूलों में तोड़फोड़
देश के अन्य राज्यों में भी कुछ इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। मध्य प्रदेश के एक सेंट जोसेफ स्कूल पर धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए लोगों ने तोड़फोड़ की थी। इसी तरह पंजाब के तरन तारन में भी कुछ लोगों ने चर्च में लगी मूर्ति को नुकसान पहुंचाया और एक कार में आग लगा दी थी। वहीं आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले में एक हिंदू मंदिर में ईसाई व्यक्ति के प्रार्थना सभा करने पर खूब बवाल हुआ था।
ईसाई मिशनरियों पर लगते रहे हैं जबरन धर्मांतरण के आरोप
देश में अक्सर चर्चों और ईसाई मिशनरियों पर जबरन धर्मांतरण के आरोप लगते रहते हैं। इसके चलते इन्हें कुछ कट्टर धार्मिक और राजनीतिक संगठनों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में दर्जनों लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के आरोप में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में भी जमकर हंगामा हुआ था और कुछ लोगों ने जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया था।
हाल ही में कर्नाटक सरकार लेकर आई धर्मांतरण विरोधी कानून
इन्हीं आरोपों को देखते हुए कर्नाटक सरकार इस साल धर्मांतरण विरोधी विधेयक लेकर आई थी। इसमें गलत तथ्यों, जबरन, लालच या धोखाधड़ी से धर्मांतरण पर पाबंदी लगाई गई है। इसके उल्लंघन पर तीन-पांच साल तक जेल और 25,000 रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। नाबालिगों, महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति का धर्म परिवर्तन करने पर तीन से 10 साल तक जेल और 50,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसे ईसाई मिशनरियों को देखते हुए लाया गया है।