कोरोना वायरस: क्या भारत पर वैश्विक हॉटस्पॉट बनने का खतरा मंडरा रहा है?
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों और मृतकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। गुरुवार तक भारत में संक्रमितों की संख्या 7,93,802 पर पहुंच गई है और अब तक 21,604 लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार बढ़ते संक्रमण का ही असर है कि भारत दुनिया में सबसे प्रभावित देशों की सूची में रूस को पछाड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। ऐसे में अब भारत पर अगला वैश्विक हॉटस्पॉट बनने का खतरा मंडरा रहा है।
भारत में बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं संक्रमण के मामले
भारत में प्रतिदिन रिकॉर्ड मामले आ रहे हैं। इनमें अधिकतर सख्त लॉकडाउन हटने के बाद यानी जून में ही सामने आए हैं BBC के अनुसार, वायरलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील के अनुसार देश में संक्रमण की दर स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्येक 20 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में संक्रमितों की संख्या तीन से चार करोड़ तक पहुंचने की आशंका है।
टेस्ट की संख्या के साथ बढ़ेगी संक्रमितों की संख्या
भारत में जांच की संख्या बढ़ाने के बाद संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत ने अब तक एक करोड़ से अधिक टेस्ट किए हैं, लेकिन 50% एक जनू के बाद हुए हैं। मई में प्रतिदिन 50,000 टेस्ट पर 5,000 मामले आ रहे थे। जब टेस्ट की संख्या प्रतिदिन एक लाख पहुंची तो संक्रमितों की संख्या 10,000 हो गई। वर्तमान में प्रतिदिन दो लाख से अधिक टेस्ट पर 20,000 से अधिक मामले आ रहे हैं।
भारत में इसलिए कम हैं कोरोना संक्रमण की दर
डॉ जमील ने बताया कि भारत में प्रत्येक एक लाख लोगों पर संक्रमितों की संख्या अन्य देशों की तुलना में तीन गुना कम है। इसका प्रमुख कारण भारत में पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग नहीं होना है। भारत में वर्तमान में प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 7,224 लोगों की ही जांच हो रही है। अन्य प्रभावित देशों में भारत से 10-20 गुना अधिक लोगों की जांच की जा रही है। यही कारण है कि वहां संक्रमण की दर भी अधिक है।
भारत में केवल संदिग्धों के परीक्षण करने पर दिया जा रहा है जोर
डॉ जमील ने बताया कि भारत में केवल कोरोना के लक्षण तथा पुरानी बीमारियों के ग्रसित लोगों की जांच करने पर जोर दिया जा रहा है। यदि सभी की जांच की जाए तो देश में संक्रमितों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।
भारत में प्रत्येक 15 टेस्ट पर एक में हो रही संक्रमण की पुष्टि
आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्तमान में प्रत्येक 15 टेस्ट पर एक व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। इसके उलट न्यूजीलैंट में 346.6, ताइवान (172.2), दक्षिण कोरिया (98.9), इस्टोनिया में (54.6) जांच पर एक संक्रमित आ रहा है। इसी तरह चीन में चार, अर्जेंटीना (5.5), इंडोनेशिया (8.7), दक्षिण अफ्रीका (10.7) और अमेरिका में 12.5 जांच पर एक संक्रमित है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यहां खतरे वाले लोगों की जांच ज्यादा की जा रही है।
भारत में तेजी से बढ़ रही ठीक होने वालों की संख्या
भारत में संक्रमितों की ठीक होने की दर अन्य देशों की तुलना में बेहतर है। यह स्वास्थ्य प्रणाली की मजबूती को दिखाती है। रिकवरी रेट कम होती तो अस्पतालों पर दबाव बढ़ जाता और मृतकों की संख्या में तेजी से इजाफा होता। रिकवरी रेट बढ़ने का कारण कम जांच और कम नए मामले है। पुष्ट मामलों की धीमी गति रिकवरी रेट को बढ़ाती है। पुष्ट मामलों की संख्या बढ़ते ही यह कम हो सकती है।
भारत में 60 प्रतिशत से अधिक है रिकवरी रेट
देश में अब तक 4,95,513 मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं, जो कुल मामलों का 62.42 प्रतिशत है। इसके उलट अमेरिका में की रिकवरी रेट 27 प्रतिशत ही है। यही कारण है कि भारत में चिकित्सा व्यवस्था पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ रहा है।
भारत में बहुत कम है कोरोना से होने वाली मौतों की दर
भारत में कोरोना से होने वाली मौतों की दर बहुत कम है। यहां प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 14.3 की मौत हो रही है। इस मामले में सबसे कम दर चीन की जहां प्रत्येक दस लाख लोगों पर 3.2, मलेशिया में 3.7, इंडोनेशिया में 11.9 और बांग्लादेश में 12.5 लोगों की मौत हो रही है। इसके उलट बेल्जियम में सबसे ज्यादा 843 और अमेरिका में 651 और इटली में 576 लोगों की मौत हो रही है।
युवा आबादी के कारण कम है मृत्यु दर
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के अर्थशास्त्री डॉ शमिका रवि ने कहा कि भारत, बांग्लादेश औ इंडोनेशिया जैसे देशों में युवा आबादी अधिक है। ऐसे में यहां मृत्यु दर कम हैं, जबकि पश्चिम देशों में बुजुर्ग आबादी अधिक होने के कारण यह दर अधिक दिखाई देती है।
भारत के तीन राज्यों में है संक्रमितों की 60 प्रतिशत संख्या
भारत में संक्रमण के मामले सभी राज्यों में अलग-अलग है। देश के कुल मामलों का 60 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में ही है। इसी तरह पहले जिन राज्यों में संक्रमण कम हो गया था, वहां अब फिर से मामले बढ़ने लगे हैं। इनमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रमुख है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में संक्रमण के मामलों को केंद्रीय स्तर पर देखा जा रहा है, जबकि इसे राज्य के आधार पर देखने की जरूरत है।
जिला स्तर पर बनाई जाए रणनीति
डॉ जमील ने कहा कि भारत सरकार को संक्रमण पर काबू पाने के लिए राज्य नहीं बल्कि जिला स्तर पर रणनीति बनानी होगी। इसके बाद ही संक्रमितों की सही तरह से पहचान होगी और उन्हें चिहि्नत कर समय रहते उपचार किया जा सकेगा।