
चीन ने सीमा के नजदीक लगाया आधुनिक रडार, जवाब में भारत ने उठाया ये कदम
क्या है खबर?
बीते दिनों खबर आई थी कि चीन ने म्यांमार से सटी सीमा के पास आधुनिक रडार स्थापित किया है।
रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इसकी रेंज 5,000 किलोमीटर है, जिसके चलते चीन भारत की कई गतिविधियों पर नजर रख सकता है।
चीन के इस कदम का जवाब देने के लिए भारत ने तैयारी कर ली है।
रक्षा मंत्रालय ने 18 लो लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार (LLTR) खरीदने के लिए करोड़ो के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
रडार
18 'अश्विनी' रडार खरीदेगी वायुसेना
रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय भारतीय वायु सेना के लिए 18 'अश्विनी' रडार खरीदने जा रहा है। इसके लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ 2,906 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित किए गए ये LLTR भारतीय वायुसेना के लिए अपनी तरह के पहले स्वदेशी रडार सिस्टम होंगे, जो पहले आयातित उपकरणों की जगह लेंगे।
खासियत
क्या है रडार की खासियत?
LLTR अश्विनी एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक फेज़्ड एरे मल्टीफंक्शन रडार है, जो दुश्मन के विमानों को ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा ये ड्रोन, मिसाइल और हेलीकॉप्टर को भी पकड़ सकता है।
इसकी रेंज 200 किलोमीटर है और यह 15 किलोमीटर की उंचाई तक नजर रख सकता है।
यह प्रणाली एक ट्रक के ऊपर तैनात है, इस वजह से इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसे -20 से लेकर 55 डिग्री तक के तापमान में चलाया जा सकता है।
चीन
चीन से निपटने के लिए ये तैयारी कर रही सेना
बीते कुछ समय में चीन ने सीमा के नजदीक अपनी निगरानी प्रणाली और तैनाती को बढ़ाया है।
इससे निपटने के लिए वायुसेना चीनी क्षेत्र में गहराई तक नजर रखने में सक्षम पर्वतीय रडार की तैनाती पर विचार कर रही है। ये 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी के लिए काफी अहम होगीं।
वहीं, भारतीय नौसेना भी स्वदेशी तकनीक पर निर्भरता बढ़ा रही है। ये भारत की विदेशों पर निर्भरता कम करने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
चीन का रडार
चीन ने 5,000 किलोमीटर रेंज का रडार तैनात किया
चीन ने म्यांमार से सटी सीमा पर युन्नान प्रांत में लार्ज फेज्ड ऐरे रडार (LPAR) स्थापित किया है, जो बड़े क्षेत्र को तुरंत स्कैन कर सकता है।
इसकी रेंज 5,000 किलोमीटर है, जिसके चलते चीन ओडिशा के डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किए गए मिसाइल प्रक्षेपणों पर नजर रख सकता है।
भारत यहां से अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 और पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाली K-4 मिसाइलों का परीक्षण करता है।