भारत की 'सॉफ्ट पॉवर' का प्रतीक बनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, 108 देशों को भेजी गईं 8.5 करोड़ गोलियां
दुनियाभर में कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन नामक दवाई की मांग बढ़ गई है और इसका सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक होने के कारण यह भारत की 'सॉफ्ट पॉवर' का प्रतीक बन गई है। जरूरत के समय सबकी मदद करते हुए भारत लगभग 108 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की 8.5 करोड़ गोलियां भेजने जा रहा है। इनमें से कुछ खेप पहुंचाई जा चुकी हैं, वहीं कई को पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन क्यो हैं इतनी महत्वपूर्ण?
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दशकों से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जा रही है। भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अभी तक इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है, लेकिन फिर भी भारत समेत कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी मांग कुछ छोटी-छोटी स्टडीज और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद बढ़ी जिसमें उन्होंने इसे 'गेम चेंजर' करार दिया था।
भारत ने लगाया था प्रतिबंध
इन शुरूआती स्टडीज के बाद हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के महत्व और देश में इसकी कमी होने के अंदेशे के कारण भारत ने पिछले महीने इसके निर्यात पर रोक लगा दी। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में बातचीत की और उनसे अमेरिका को दवाईयां देने की मांग की। इसके बाद भारत ने कोरोना वायरस से प्रभावित देशों को ये दवा निर्यात करने की मंजूरी दे दी।
108 देशों को भेजी जा रहीं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की 8.5 गोलियां
अब भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को अपनी 'सॉफ्ट पॉवर' के तौर पर प्रयोग कर रहा है और 108 देशों को 8.5 करोड़ गोलियां भेजने के चरण में है। इसके अलावा पेरासिटामॉल की 50 करोड़ गोलियां और 1,000 टन पेरासिटामॉल कण भी भेजे जाएंगे। भारत अब तक अमेरिका, ब्राजील, रूस, यूनाइडेट किंगडम (UK), फ्रांस और स्पेन सहित 24 देशों को कमर्शियल कॉन्ट्रेंट के तहत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आठ करोड़ गोलियां भेज चुका है। इसके अलावा इटली समेत 52 देशों को पेरासिटामॉल भेजी गई है।
कोरोना वायरस से लड़ाई में सहायता के तौर पर 31 देशों को भेजी जाएंगी दवाईयां
इसके अलावा भारत कोरोना वायरस से लडा़ई में सहायता के तौर पर 31 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की 50 लाख गोलियां और बड़ी मात्रा में पेरासिटामॉल भेज रहा है। वहीं 60 देशों की 4,000 से अधिक खेपों को डिलीवरी के लिए तैयार किया जा रहा है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार के अधिकारियों ने ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल तक एयरपोर्ट्स और बंदरगाह पर जो भी दवाईयां मौजूद थीं, उन्हें निर्यात किया जा रहा है।
"कोरोना से प्रभावित मित्र देशों को दवाईयां भेजने पर खास जोर"
एक अधिकारी ने कहा, "कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित होने वाले मित्र देशों को खेप भेजे जाने पर सबसे पहले ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा एक-दो दिन में इस संकट के समय मदद मांगने वाले अन्य देशों को भी दवाईयां भेजी जाएंगीं।"
बेहद जटिल है दवाईयों की डिलीवरी की प्रक्रिया
दवाईयों की ज्यादातर खेप भारतीय वायुसेना की विशेष उड़ानों सहित कई तरीकों से भेजी जा रही हैं और ये एक बेहद जटिल प्रक्रिया है। इसका एक उदाहरण देते हुए अधिकारियों ने बताया कि डॉमिनिकल रिपब्लिक को जो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की खेप भेजी गई है, उसे पहले अमेरिकी के एक एवैक्युएशन विमान के जरिए डिप्लोमेटिक कार्गो के तौर पर जॉर्जिया भेजा गया। इसके बाद इसे न्यूयॉर्क भेजा जाएगा., यहां से ये कैरिबियाई द्वीप समूह में स्थित डॉमिनिकल रिपब्लिक भेजा जाएगा।