कोरोना मरीजों के उपचार में प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग बंद कर सकता है भारत
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के चरम पर होने के दौरान संक्रमितों की उपचार के लिए प्लाज्मा थैरेपी को बहुत कारगर बताया जा रहा था, लेकिन बाद में इसके सार्थक परिणाम नहीं निकले।
अब सामने आया है कि यह थैरेपी कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में पूरी तरह से नाकामयाब है।
ऐसे में अब इसे कोरोना मरीजों के उपचार की पद्धति से हटाया जा सकता है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) इस पर विचार भी कर रहा है।
प्लाज्मा थैरेपी
क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी?
कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना वायरस को मात दे चुके शख्स के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है और उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा, खून का एक कंपोनेट होता है।
जब कोई व्यक्ति कोरोना से ठीक होता है तो उसके शरीर में महामारी फैलाने वाले SARS-CoV-2 वायरस को मारने वाली एंटीबॉडी बनती है।
कहा गया था कि प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज संक्रमित मरीज में पहुंचती हैं और उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत कर वायरस को मारती हैं।
बयान
प्लाज्मा थैरेपी को उपचार के गाइडलाइंस से हटाने पर चल रही चर्चा- भार्गव
ICMR के डायरेक्टर जनलर बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि कोरोना के इलाज की गाइडलाइंस में से प्लाज्मा थेरेपी को हटाए जाने को लेकर विचार चल रहा है। इस पर कोरोना के लिए बनी ICMR की नेशनल टास्क फोर्स विचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि ICMR द्वारा किए गए अध्ययनों में सामने आया है कि प्लाज्मा थैरेपी कोरोना संक्रमित मरीजों को फायदा पहुंचाने में पूरी तरह से नाकामयाब रही है। ऐसे में इसे बंद किया जा सकता है।
परीक्षण
ICMR ने 39 अस्पतालों में किया परीक्षण
बता दें कि प्लाज्मा थैरेपी की उपयोगिता जांचने के लिए ICMR द्वारा भारत के 39 अस्पतालों में किया गया सबसे बड़ा परीक्षण किया गया था।
यह अप्रैल और जुलाई के बीच हुआ और 464 अस्पताल में भर्ती मरीजों को संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा देने के लिए चुना गया था।
उस दौरान कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की खून से एंटीबॉडी वाले प्लाज्मा निकाले गए थे। इस अध्ययन में 350 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया था।
झटका
प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग करने वाले राज्यों के लिए झटका
प्लाज्मा थैरेपी को उपचार गाइडलाइंस से हटाया जाना कई राज्यों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कई राज्य कोरोना मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
इतना ही नहीं इन राज्यों ने कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी की अहम भूमिका बताई है। राजधानी दिल्ली में AAP की अगुवाई वाली सरकार ने तो प्लाज्मा बैंक को भी प्रमोट किया था।
वहीं उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भी प्लाज्मा डोनेट करने वालों को कई प्रोत्साहन दिए गए थे।
चेतावनी
अप्रैल ने केन्द्र सरकार ने प्लाज्मा थैरेपी को लेकर जारी की थी चेतावनी
गौरतलब है कि अप्रैल में केंद्र सरकार ने कहा था कि प्लाज्मा थैरेपी से उपचार के दौरान मरीज की जिंदगी मुश्किल में पड़ सकती है। तब इस थैरेपी को एक्पेरिमेंटल बताया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने तो इस थैरेपी को गैरकानूनी तक बताया था।
उन्होंने कहा था कि जब तक ICMR की निरीक्षण टीम से संबंधित कोई व्यक्ति इलाज न देख रहा हो तब तक इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।