देश की आबादी हुई स्थिर, 2.1 से नीचे पहुंची प्रजनन दर- NFHS डाटा
देश की बढ़ती आबादी को कम करने के सरकार के प्रयासों में सफलता मिलती नजर आ रही है। इसका कारण है कि भारत की कुल प्रजनन दर (TRF) 2.1 से नीचे यानी दो के करीब पहुंच गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के दूसरे चरण के डाटा में यह खुलासा हुआ है। डाटा के अनुसार TRF दर यानी एक महिला के जीवनकाल में बच्चों को जन्म देने की औसत संख्या 2.2 से घटकर दो के करीब आ गई है।
देश की जनसंख्या हुई स्थिर- स्वास्थ्य मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को NFHS-5 के दूसरे चरण का डाटा जारी कर कहा गया है कि देश की जनसंख्या अब लगभग स्थिर हो गई है। यानी उसमें बढ़ोतरी बहुत ही मामूली है। 2015 और 2016 के बीच किए गए सर्वेक्षण के चौथे संस्करण में यह TRF दर राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 थी। इसके बाद 2019 से 2021 के बीच दो चरणों पांचवां सर्वेक्षण किया गया है। इसमें TRF दर कम होकर लगभग दो पर आ गई है।
क्या है TRF दर के कम होने के मायने
TRF दर कम होने का अर्थ है कि जनसंख्या में स्थिरता आ गई है। इस दर के अनुसार, एक महिला और उसके पति की मौत होने पर जनसंख्या में कोई समग्र वृद्धि या कमी नहीं होती है। ऐसे में जनसंख्या में वृद्धि नहीं होती है।
गर्भनिरोधक प्रसार दर में हुआ 13 प्रतिशत का इजाफा
डाटा के अनुसार, देश में गर्भनिरोधक प्रसार दर (CPR) में भी इजाफा हुआ है। चौथे सर्वेक्षण में CPR दर 54 प्रतिशत थी, जो अब 13 प्रतिशत के इजाफे के साथ 67 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसी तरह परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतें 13 से घटकर नौ प्रतिशत हो गई हैं। बच्चों में अंतराल का अहम मुद्दा भी झारखंड (12%), अरुणाचल प्रदेश (13%) और उत्तर प्रदेश (13%) को छोड़कर अन्य राज्यों में 10 प्रतिशत से नीचे आ गया है।
सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आई तेजी- डॉ पॉल
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि NFHS-5 से पता चलता है कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में और तेजी आ रही है। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का सर्वेक्षण किया गया था। इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों ने स्थिरता हासिल कर ली है।
बच्चों में टीकाकरण की दर में भी हुई है बढ़ोत्तरी
डाटा के अनुसार, 12-23 महीने के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण का प्रतिशत 62 से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया। संस्थागत प्रसव की दर भी 79 से बढ़कर 89 प्रतिशत पर पहुुंच गई है। स्टंटिंग 38 से घटकर 36 प्रतिशत और वेस्टिंग 21 से 19 प्रतिशत हो गई है। कम वजन वाले बच्चों की संख्या 36 से घटकर 32 प्रतिशत हो गई है। छह महीने से कम उम्र के विशेष स्तनपान का प्रतिशत भी 55 से 64 पर पहुंच गया है।
भारत में 1952 में हुई थी परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत
जनसंख्या वृद्धि को धीमा करने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित परिवार नियोजन कार्यक्रम 1952 में शुरू किया गया था। इसे शुरू में दोषपूर्ण रणनीति के संदर्भ में चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। जिसके कारण महिलाएं बड़े पैमाने पर गर्भ निरोधकों का उपयोग कर रही थीं। युवा जोड़ों के लिए गर्भ निरोधकों की पसंद की सीमित मात्रा में थी। अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ सालों में शुरू किए गए परिवर्तनों से परिणाम बेहतर हुए हैं।
"भारत में दिख रहे हैं परिवार नियोजन कार्यक्रम में उत्साहजनक परिणाम"
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्र के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, "भारत लंबे समय से जनसंख्या नियंत्रण पर काम कर रहा है और अब इसके उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। यह केंद्र और राज्य सरकारों के ठोस प्रयासों का परिणाम है।" उन्होंने कहा, "गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए 2016 से शुरू किए गए मिशन परिवार विकास में उच्च प्रजनन क्षमता वाले 146 जिलों पर विशेष ध्यान दिया गया है।"