मालदीव के नए राष्ट्रपति बने चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू, भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
मालदीव के राष्ट्रपति चुनावों में प्रगतिशील गठबंधन के उम्मीदवार मोहम्मद मुइज्जू ने जीत हासिल की है। उन्हें 54.06 प्रतिशत वोट हासिल हुए, जबकि उनके विपक्षी उम्मीदवार और निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मह सालेह को 45 प्रतिशत वोट मिले। बता दें कि राष्ट्रपति पद के लिए ये दूसरे चरण का चुनाव था। पहले चरण में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिले थे, जिसके बाद दूसरा चरण कराया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
मालदीव के नए राष्ट्रपति बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुइज्जू को बधाई दी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने लिखा, 'मोहम्मद मुइज्जू को मालदीव का राष्ट्रपति बनने पर बधाई और शुभकामनाएं। भारत मालदीव के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।' हार के बाद सोलिह ने लिखा, 'निर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू को बधाई। मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का प्रदर्शन किया।'
कौन हैं मुइज्जू?
15 जून, 1978 को जन्मे मुइज्जू ने लंदन यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साल 2012 में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और मंत्री बने। 2013 में जब अब्दुल्ला यामीन राष्ट्रपति बने तब भी वह मंत्री रहे। 2013 से 2081 तक उन्होंने कई पुल, पार्क, मस्जिद और सड़कें बनवाई। 2021 के चुनाव में वह राजधानी माले के मेयर बने। यामीन को सजा मिलने के बाद मुइज्जू को विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया।
मुइज्जू का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
दरअसल, मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। कई बार वे खुले तौर पर चीन के समर्थन में और भारत के विरोध में बयान दे चुके हैं। मुइज्जू ने मंत्री रहते जिन परियोजनाओं पर काम किया है, उनमें से ज्यादातर के लिए चीन ने पैसा दिया है। दूसरी ओर, सालेह को भारत समर्थक माना जाता है। उन्होंने 'इंडिया फर्स्ट' नीति पर काम करना शुरू किया था, लेकिन अब वे हार गए हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है मालदीव?
मालदीव हिंद महासागर में दुनिया के सबसे व्यस्त पूर्व-पश्चिम शिपिंग लेन पर स्थित है। इस वजह से इस देश का व्यापारिक महत्व है। रणनीतिक लिहाज से भी मालदीव भारत के लिए अहम है, क्योंकि यहां से हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है। इस इलाके में चीन का दखल बढ़ रहा है। भारत यहां कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। अगर मालदीव में सालेह राष्ट्रपति बनते तो भारत के लिए ये राहत भरा होता।
न्यूजबाइट्स प्लस
नवंबर, 1988 में भारत ने मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस चलाया था। तब राष्ट्रपति अब्दुल गयूम के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा था और उन्होंने भारत से मदद मांगी थी। इसके बाद भारत ने करीब 400 जवान राजधानी माले भेजे थे, जिन्होंने न सिर्फ विद्रोह पर काबू किया, बल्कि राष्ट्रपति गयूम को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। भारत के इस ऑपरेशन की अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने तारीफ की थी।