भारत ने चीन के खिलाफ मजबूती के लिए सीमा पर तैनात किए अमेरिका निर्मित हथियार
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत ने खुद को मजबूत करने के लिए सीमा पर कई अमेरिकी निर्मित हथियारों की तैनाती कर दी है। इन हथियारों में चिनूक हेलिकॉप्टर, अल्ट्रा लाइट टोड हॉवित्जर और राइफल्स के साथ ही भारत में बने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अल्ट्रामॉडर्न सर्विलांस सिस्टम शामिल हैं। भारत ने चीन से विवाद के बाद पिछले कुछ समय में इन हथियायों की तैनाती की है।
माउंटेन स्ट्राइक कोर है पूरी तरह से तैयार- पांडे
पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने कहा, "सेना को चुस्त, मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए जूते, कवच, तोपखाने और हवाई समर्थन को जोड़ा जा रहा था ताकि हम तेजी से काम कर सकें।" उन्होंने कहा, "माउंटेन स्ट्राइक कोर किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसी तरह लड़ाकू और लड़ाकू सहायता इकाइयों सहित सभी इकाइयां भी पूरी तरह से तैयार और आधुनिक हथियारों से सुसज्जित हैं।"
भारत ने सेना की बड़ी टुकड़ी को भेजा अरुणाचल प्रदेश
इधर, भारत ने सेना की एक बड़ी टुकड़ी को अरुणाचल प्रदेश में भेजा है। पिछले एक साल में कम से कम 30,000 से अधिक सैनिकों को अरुणाचल में तैनात किया गया है। केंद्र सरकार 1962 की स्थिति फिर से पैदा नहीं होने देना चाहती है।
"चीन के साथ वार्ता में प्रगति नहीं होने पर बरती जा रही सतर्कता"
दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन का मानना है कि चीन के साथ बातचीत में प्रगति की कमी के कारण सरकार बॉर्डर पर तैनाती पर जोर दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह लगातार दूसरी सर्दी है जब दोनों देश बॉर्डर पर अपने सैनिक जमा किए हुए हैं। ऐसे में भारत को अमेरिका जैसे देशों से और अधिक हथियार खरीदने की जरूरत है।
चीन को करारा जवाब देने को तैयार है भारतीय सेना- सैन्य कमांडर
मामले के जानकार एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर ने कहा कि भारत अब जरूरत पड़ने को चीन को धोने के लिए तैयार है। अरुणाचल का क्षेत्र भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सीमा म्यांमार तक फैली हुई है। इधर कई संकीर्ण गलियारे हैं जो सेना का काम थोड़ी मुश्किल करती हैं। आक्रामक रवैया भारत को चीन से मुकाबले में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि LAC पर चीनी सेना की गतिविधि थोड़ी बढ़ी है, लेकिन हमारे पास पर्याप्त सैनिक उपलब्ध हैं।
तवांग क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होंगे चिनूक हेलीकॉप्टर
तवांग से करीब 300 किलोमीटर दूर दक्षिण में भारतीय सेना की नई एविएशन ब्रिगेड नए प्लान में अहम स्थान रखती है। यह वही बेस है जहां से अमेरिकी विमानों ने दूसरे विश्व युद्ध में जापानी शाही सेना से लड़ने के लिए उड़ान भारी थी। भारतीय वायु सेना अब चिनूक जैसे हेलिकॉप्टर से लैस है जो अमेरिकी होवित्जर और सैनिकों को आसानी और तेजी से पहाड़ों के पार ला सकता है। कई इजरायली निर्मित मानव रहित विमान भी तैनात हैं।
चिनूक हेलीकॉप्टरों से सेना को मिलेगी बड़ी मदद- कार्तिक
नवगठित ब्रिगेड में पायलट मेजर कार्तिक ने कहा, "चिनूक गेम चेंजर हैं। वो गतिशीलता और तेजी लाने में कारगर है। इसके जरिए सैनिकों और हथियारों को एक से दूसरे पर्वत पर अधिक तेजी से पहुंचाया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "भारत में इंजीनियर दुनिया की सबसे लंबी टू-लेन सुरंग की खुदाई कर रहे हैं, जो समुद्र तल से 13,000 फीट ऊपर है और एक महत्वपूर्ण पहाड़ी दर्रे से गुजरती है। इससे विवादित सीमा तक पहुंचना आसान होगा।"
साल 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगी सुरंग
तवांग को जोड़ने वाले सेला सुरंग की बात करें तो यह वक्त से पहले ही तैयार हो जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेला सुरंग जून 2022 तक बनकर तैयार रहेगी। मौजूदा वक्त में बर्फ को हटाने के दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और तब भी सिर्फ कुछ ही गाड़ियां पार सकती हैं। सुरंग के बनने से तवांग पहुंचने में आसानी होगी और वक्त से पहले से कम लगेगा। इससे साल भर सैनिकों की तेज और निर्बाध आवाजाही हो सकेगी।
चीन ने लागू किया नया भूमि सीमा कानून
बता दें कि भारत से चल रहे विवाद के बीच चीन ने गत शनिवार को नया भूमि सीमा कानून लागू कर दिया है। इस कानून में चीन की सरकार और सेना को अपने भू-भाग की सुरक्षा के लिए लड़ने की खुली छूट दी है। इसके अलावा वह अपने सीमा क्षेत्रों में भी ढांचागत विकास कर सकेगा। हालांकि, भारत ने इस कानून एकतरफा कदम बताते हुए कहा है कि इसके कारण दोनों देशों की द्विपक्षीय व्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।