
रुड़की 'धर्म संसद' में भड़काऊ बयान दिए तो मुख्य सचिव को माना जाएगा जिम्मेदार- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले साल दिसंबर में आयोजित एक 'धर्म संसद' में भड़काऊ बयान (हेट स्पीच) के मामले का अभी निपटारा भी नहीं हुआ कि अब बुधवार को रुड़की में एक और 'धर्म संसद' आयोजित की जा रही है।
इसको लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को चेतावनी दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि धर्म संसद में भड़काऊ बयान नहीं रोके गए तो मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उन्हें अदालत में तलब करेंगे।
प्रकरण
सिब्बल ने की 'धर्म संसद' पर रोक लगाने की मांग
बता दें कि रुड़की में बुधवार को 'धर्म संसद' होनी है। इसमें भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इससे पहले कई राज्यों में ऐसा हो चुका है। ऐसे में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले में उठाते हुए 'धर्म संसद' पर रोक लगाने की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आयोजित हुई 'धर्म संसद' में भी सरकार और पुलिस की सख्ती के बाद भी भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जो कि ठीक नहीं है।
चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को दी चेतावनी
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में उत्तराखंड के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने के आदेश देते हुए कहा, "राज्य सरकार सुनिश्चित करे की कोई भड़काऊ भाषण न दिए जाएं। यदि भड़काऊ भाषणों को नहीं रोका गया तो मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और हम मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब करेंगे।"
कोर्ट ने कहा, "सरकार भड़काऊ भाषण रोकने का भरोसा तो दे रही है, लेकिन जमीन पर ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है।"
आदेश
"भड़काऊ भाषणों के संबंध में हो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना"
पीठ ने कहा, "धर्म संसद में भड़काऊ भाषण रोकने के लिए क्या करने की जरूरत है, इस पर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिशानिर्देश जारी किए जा चुके है। आपको केवल उन दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। आप इसका पालन कर रहे हैं या नहीं, यही आपको हमें जवाब देना है।"
इस पर सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि सरकार ने पहले भी निवारक कदम उठाए हैं और अब भी पूरी तैयारी की है।
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को भी लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश के उना में आयोजित एक अन्य धर्म संसद में भड़काऊ बयानों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल सरकार को फटकार लगाई।
कोर्ट ने कहा सरकार ने मामले में तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की और भड़काऊ बयानों को रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए।
इस दौरान कोर्ट ने सरकार को 7 मई तक मामले में की गई कार्रवाई का हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
सवाल
सरकारी वकील की सफाई पर कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल
हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले में कदम उठाते हुए पुलिस अधिनियम की धारा 64 के तहत एक नोटिस जारी किया है।
इस पर कोर्ट ने कहा, "ये घटनाएं अचानक नहीं, रातों रात होती हैं। इनकी घोषणा काफी पहले कर दी जाती है। स्थानीय पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि कोई अप्रिय घटना न हो और क्या वे कदम उठाए गए हैं, आप हलफनामें में इसे स्पष्ट करें।"
पृष्ठभूमि
हरिद्वार और उना में आयोजित 'धर्म संसद' में दिए गए थे भड़काऊ बयान
पिछले साल 17 और 19 दिसंबर को दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी और हरिद्वार में यति नरसिंहानंद ने दो अलग-अलग सभाओं का आयोजन किया था, जहां पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे।
इस मामले में पटना हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश के उना में भी आयोजित सभा में ऐसी घटना सामने आई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त है।