कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, उत्तर प्रदेश सरकार को पूर्ण प्रतिबंध पर विचार को कहा
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोरोना महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की अनुमति देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है।
मामले में स्वत: संज्ञान लेकर की जा रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लोगों का स्वास्थ्य और जीवन सर्वोपरि है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा पर पूर्ण रोक लगाने पर विचार करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करती है तो सोमवार को कोर्ट अपना आदेश जारी करेगा।
कांवड़ यात्रा
क्या होती है कांवड़ यात्रा?
दरअसल, कांवड़ यात्रा विशेष रूप से श्रावण मास में ही आयोजित की जाती है। शिव भक्तों के लिए इसका बहुत अधिक महत्व होता है।
इस कांवड़ यात्रा में भक्त गंगा नदी से पवित्र जल लाने के लिए हरिद्वार, इलाहाबाद, सौरोजी सहित देश के अन्य हिस्सों में जाते हैं।
उत्तरी राज्यों से कांवड़ियों के रूप में लाखों भक्त गंगा जल लाने के लिए पैदल यात्रा करते हैं और फिर उस गंगा जल से शिव मंदिरों में अभिषेक किया जाता है।
प्रकरण
उत्तर प्रदेश सरकार ने दी कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति
बता दें कि गत दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति दे दी थी।
सरकार ने कहा था कि पारंपरिक कांवड़ यात्राएं कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ निकाली जा सकेगी। इस दौरान सरकार ने कावड़ यात्रियों के लिए RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता की भी बात कही थी।
सरकार के इस फैसले पर 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सरकार को नोटिस जारी किया था।
सुनवाई
"जीवन का मौलिक अधिकार सबसे ऊपर है"
मामले में जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने कहा, "हम पहली नजर में विचार रखते हैं और यह हम सभी से संबंधित है कि जीवन का मौलिक अधिकार सबसे ऊपर है। भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, अन्य सभी भावनाएं चाहे धार्मिक हों, इस मूल मौलिक अधिकार के अधीन हैं।"
ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए भीड़ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचना चाहिए।
बयान
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को दी चेतावनी
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फैसले का बचाव करने पर शीर्ष अदालत ने कहा, "या तो वे आदेश पारित कर सकते हैं या आपको एक अवसर दे सकते हैं। सरकार ने सोमवार तक अपने फैसले से अवगत कराए, नहीं तो अदालत अपना आदेश जारी कर देगी।"
विरोध
केंद्र सरकार ने भी किया कांवड़ यात्रा का विरोध
मामले में केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कांवड़ यात्रा का विरोध किया है। केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारों को कोरोना के मद्देनजर हरिद्वार से 'गंगा जल' लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
हालांकि, धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को निर्दिष्ट स्थानों पर टैंकरों के माध्यम से 'गंगा जल' उपलब्ध कराने के लिए प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
जिम्मेदारी
कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि टैंकर चिन्हित अथवा निर्धारित स्थानों पर उपलब्ध हों ताकि आस-पास के भक्त यहां से 'गंगा जल' को इकट्ठा कर सकें और अपने नजदीकी शिव मंदिरों में 'अभिषेक' कर सकें।
हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा कि गंगा जल वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क सहित अन्य सभी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करवाना राज्य सरकार की जिम्मेवारी होगी। इसके लिए उसे विशेष योजना बनानी होगी।
रोक
उत्तराखंड सरकार ने लगाई कांवड़ यात्रा पर रोक
कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए गत 7 जलाई को उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी थी। हालांकि, सरकार ने श्रद्धालुओं को टैंकर के जरिए गंगा जल मंगवाने की अनुमति दी है।
गत मंगलवार को प्रदेश पुलिस प्रमुख ने पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों से अपील की थी कि वो सावन के महीने में श्रद्धालुओं को हरिद्वार न आने के लिए कहें। इसके अलावा कांवड़ लेने जाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने की चेतावनी भी दी है।
खतरा
तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा से बढ़ सकता है खतरा
बता दें कि विशेषज्ञों ने अक्टूबर तक देश में महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका जताई है, लेकिन पर्यटन स्थल और बाजारों में बिना कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किए घूमती भीड़ को देखते हुए यह पहले भी आ सकती है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी कहा है कि तीसरी लहर आना तय है और इसे टाला नहीं जा सकता।
ऐसे में यदि देशभर में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है तो तीसरी लहर बहुत जल्द दस्तक दे सकती है।