एमपॉक्स के खिलाफ कितनी वैक्सीन उपलब्ध हैं और क्या इन्हें मिल चुकी है आवश्यक मंजूरी?
कोरोना वायरस के बाद अब दुनिया एमपॉक्स (मंकीपॉक्स) वायरस के खतरे से जूझ रही है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) से शुरू हुआ एमपॉक्स का प्रकोप अब 121 देशों तक पहुंच चुका है। भारत में भी सोमवार को पहला मामला सामने आ गया। इस बीच एमपॉक्स का केंद्र बने कांगो में इसकी वैक्सीन की पहली खेप पहुंच चुकी है। आइए जानते हैं एम्पॉक्स के खिलाफ दुनिया में कितनी वैक्सी है और इनके अफ्रीका पहुंचने में देरी क्यों हुई।
सबसे पहले जानते हैं क्या है एमपॉक्स वायरस
एमपॉक्स वायरस के संक्रमण से होने वाली एक बीमारी है। यह वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली से है, जिसमें वेरियोला, काउपॉक्स, वैक्सीनिया और अन्य वायरस शामिल हैं। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कमजोरी और सूजे हुए लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसमें शरीर पर चेचक जैसे लाल और बड़े चकत्ते निकलने लगते हैं। इसका पहला मामला 1958 में कांगो में दर्ज किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।
कहां तक फैला एमपॉक्स का प्रकोप?
WHO के अनुसार, 1 जनवरी, 2022 से 5 सितंबर, 2024 तक अफ्रीका के 20 WHO सदस्य-देशों सहित 121 देशों से एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं। इस अवधि में वायरस की चपेट में आने से 229 लोगों की मौत हुई है और कुल 1,03,048 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। भारत में मिला पहला मामला भी अफ्रीका की यात्रा करने के कारण सामने आया है। मामलों की संख्या में वृद्धि के बावजूद अफ्रीका में वैक्सीन की कमी है।
एमपॉक्स का प्रसार चिंता का विषय क्यों है?
वर्तमान में एमपॉक्स अपने नए क्लेड-1B वेरियंट के प्रसार के कारण चिंता का विषय बना हुआ है। इससे पहले फैलने वाला वेरियंट क्लेड-2 था। क्लेड-1B पिछले वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैल रहा है, जिसमें यौन संबंध भी शामिल हैं। जर्नल नेचर की रिपोर्ट के अनुसार, क्लेड 1A अधिकतर जानवरों से आता है। नया वेरिएंट प्रभावित अफ्रीकी देशों में महिलाओं और बच्चों को भी प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञ इसके तेजी से प्रसार का पता लगाने में जुटे हैं।
आसानी से हवा के माध्यम से नहीं फैलता एमपॉक्स
US सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की रिपोर्ट के अनुसार, राहत की बात यह है कि एमपॉक्स वायरस कोरोना की तहर आसानी से हवा के जरिए नहीं फैलता है। यह वायरस मुख्य रूप से त्वचा से त्वचा के निकट संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। इसमें स्पर्श, यौन संबंध और मुंह से मुंह के संपर्क शामिल हैं। यह रिपोर्ट एमपॉक्स से संक्रमित 113 लोगों पर किए गए अध्ययन पर आधारित है।
एमपॉक्स के खिलाफ कितनी वैक्सीन मौजूद हैं?
वर्तमान में एमपॉक्स के खिलाफ दुनिया में 3 वैक्सीन उपलब्ध हैं। इनमें मॉडिफाइड वैक्सीनिया अंकारा (MVA), LC16m8 और ACAM2000 शामिल हैं। ये सभी वैक्सीनिया के हल्के संस्करण हैं और चेचक की वैक्सीन के रूप में भी काम करती हैं। वायरोलॉजिस्ट डॉ गगनदीप कांग ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "चेचक और एमपॉक्स दोनों वायरस एक ही परिवार से हैं। एमपॉक्स में मृत्यु दर कम है, लेकिन यह एनिमल्स भंडार के कारण तेजी से फैल रहा है।"
एमपॉक्स के खिलाफ सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रही है MVA वैक्सीन
एमपॉक्स के खिलाफ वर्तमान में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन MVA है। इसे डेनमार्क स्थित बवेरियन नॉर्डिक ने बनाया है। इसे अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) और यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) से मंजूरी मिल चुकी है। इसी वैक्सीन को सबसे ज्यादा प्रभावित कांगो में भेजा गया है। दूसरी वैक्सीन LC16m8 को जापान की कंपनी केएम बायलॉजिक्स ने बताया है और जापान की नियामक संस्था ने ही इसे मंजूरी दी है।
अमेरिका ने तैयार की है ACAM2000 वैक्सीन
एमपॉक्स के खिलाफ काम आने वाली तीसरी वैक्सीन ACAM2000 को एक अमेरिकी कंपनी एमर्जेंट बायोसॉल्यूशंस ने तैयार किया है। इसे पिछले महीने FDA ने एमपॉक्स के लिए मंजूरी दी है। हालांकि, अभी WHO ने किसी भी वैक्सीन को एमपॉक्स के लिए स्वीकृति नहीं दी है।
एमपॉक्स के खिलाफ तैयार की जा रही है और भी वैक्सीन
एमपॉक्स के खिलाफ और भी वैक्सीन तैयार की जा रही है। डॉ कांग ने बताया कि जर्मन बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बायोएनटेक द्वारा बनाई गई वैक्सीन अभी शुरुआती नैदानिक विकास के चरण में है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भी वैक्सीन बनाने की घोषणा की है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी वैक्सीन और जांच किट विकसित करने के लिए रॉयल्टी के आधार पर सहयोग करने का आह्वान किया है।
अफ्रीका में वैक्सीन पहुंचने में देरी क्यों हुई?
वर्तमान में उपलब्ध एमपॉक्स वैक्सीन अफ्रीकी देशों के लिए बहुत महंगी हैं। WHO के अनुसार, इन वैक्सीनों की एक खुराक 50-75 डॉलर (4,200 से 6,300 रुपये) तक है। ऐसे में अफ्रीकी देशों को विकसित देशों और वैक्सीन उत्पादकों द्वारा सीधे दान पर और ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्यूनाइजेशन (GAVI, वैक्सीन अलायंस) और यूनिसेफ की खरीद पर निर्भर रहना पड़ता है। बता दें कि GAVI और यूनिसेफ WHO की मंजूरी के बिना वैक्सीन की खरीद नहीं करता है।
WHO से क्यों नहीं मिली वैक्सीन को मंजूरी?
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मंजूरी देने में WHO की प्रक्रिया काफी धीमी है। हालांकि, WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने पिछले महीने कहा था कि देरी कंपनियों द्वारा जरूरी दस्तावेज पूरे न करने की वजह से हुई है।
एमपॉक्स वैक्सीन कब लेनी चाहिए?
उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए वायरस के प्रकोप के दौरान वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है। वैक्सीन तब भी लगाई जा सकती है जब कोई व्यक्ति एमपॉक्स से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में आया हो। इन मामलों में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 4 दिन से कम समय बाद वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। अगर व्यक्ति में लक्षण विकसित नहीं हुए हैं, तो फिर वैक्सीन 14 दिन बाद तक भी लगाई जा सकती है।