कैसे होती है भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति और क्या है इसकी प्रक्रिया?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे और अगले CJI की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 3 अगस्त को CJI रमन्ना को पत्र लिखकर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने का अनुरोध किया था। इस पर रमन्ना ने 4 अगस्त को जस्टिस यूयू ललित (उदय उमेश ललित) के नाम की सिफारिश की है। आइये जानते हैं कि आखिर कैसे की जाती है CJI की नियुक्ति।
संविधान में क्या है CJI की नियुक्ति का प्रावधान?
भारत के संविधान में CJI की नियुक्ति की प्रक्रिया का कोई उल्लेख नहीं है। अनुच्छेद 124 (1) कहता है कि भारत का एक सुप्रीम कोर्ट होगा और जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश होगा, लेकिन इसमें उसकी योग्यता और प्रक्रिया पर कोई प्रकाश नहीं डाला है। वहीं, अनुच्छेद 126 में कार्यकारी CJI की नियुक्ति का जिक्र है। संविधान के अनुच्छेद 124 (2) के तहत CJI की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा करने का उल्लेख किया गया है।
CJI के लिए आवश्यक योग्यता?
CJI बनने के लिए भारत का नागरिक होना आवश्यक है। उसके किसी हाई कोर्ट में कम से कम पांच साल यो दो अलग-अलग न्यायालयों में कम से कम पांच साल तक जज के रूप में काम करने का अनुभव आवश्यक है। इसी तरह किसी उच्च न्यायालय या अन्य न्यायालय में 10 साल तक वकालत करने के अनुभव के साथ वह राष्ट्रपति की राय में प्रतिष्ठित कानूनविद होना चाहिए। CJI 65 वर्ष की आयु तक पद पर बना रहा सकता है।
कैसे किया जाता है CJI का चयन?
CJI के नाम का चयन वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। सबसे वरिष्ठ जज को इस पद के लिए चुना जाता है। वरिष्ठता उम्र के आधार पर न होकर सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में अनुभव से होती है। जैसे एक जज की उम्र 63 साल है और उसे सुप्रीम कोर्ट में जज का अनुभव पांच है और दूसरा जज 62 साल का है, लेकिन अनुभव छह साल का है तो 62 वर्षीय जज को वरिष्ठ माना जाएगा।
दो जजों के एक ही दिन शपथ लेने पर क्या होगा?
दो जजों के सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर एक ही दिन शपथ लेने के मामले में वरिष्ठता तय करने के लिए कई और चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें देखा जाता है कि किस जज को पहले शपथ दिलाई गई थी। इसी तरह किस जज ने हाई कोर्ट में ज्यादा वक्त तक सेवा दी है, किसे बार ने सीधे नॉमिनेट किया है और किसने पहले हाई कोर्ट के जज के रूप में काम किया है।
क्या है CJI की चयन प्रक्रिया?
आमतौर पर वर्तमान CJI की सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले केंद्रीय कानून मंत्री CJI से अपने उत्तराधिकार का नाम भेजने की सिफारिश करते हैं। इसके बाद CJI वरिष्ठता के आधार पर किसी जज का चयन कर चार अन्य जजों के कॉलेजियम से चर्चा कर राय लेते हैं। इस पर सहमति के बाद चयनित नाम को कानून मंत्री के पास भेजा जाता है और फिर कानून मंत्री उसे मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री के पास भेज देते हैं।
CJI के नाम पर मुहर लगाने से पहले प्रधानमंत्री से सलाह करते हैं राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री की ओर से नए CJI के नाम की सूचना राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है। इसके बाद राष्ट्रपति संपूर्ण रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अंतिम मुहर लगाने से पहले प्रधानमंत्री से इस पर सलाह लेते हैं। दोनों में सहमति के बाद नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाती है और फिर राष्ट्रपति अनुच्छेद 124(2) के तहत अगले CJI को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं। इस तरह से देश के CJI की चयन प्रक्रिया पूरी होती है।
CJI की नियुक्ति में क्या होती है सरकार की भूमिका?
CJI के चयन की प्रक्रिया में कानून मंत्री और प्रधानमंत्री की भागीदारी के साथ कॉलेजियम की भी अहम भूमिका होती है। इसका कारण है कि CJI की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की तुलना में काफी अलग होती है। सरकार कॉलेजियम के फैसले को दोबारा विचार के लिए वापस भेज सकती है। हालांकि, यदि कॉलेजियम चर्चा के बाद दोबारा से उसी नाम को भेजती है तो फिर सरकार के पास उसके विरोध का विकल्प नहीं होता है।