कोरोना वायरस: रोजाना 10 लाख टेस्ट करने के लक्ष्य की तरफ कैसे बढ़ रहा है भारत?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस की जांच के लिए बीते दिन देशभर में सात लाख से ज्यादा सैंपल टेस्ट किए गए।
महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक भारत में 2.41 करोड़ टेस्ट हुए हैं।
बीते कुछ दिनों से देश में टेस्ट की संख्या बढ़ी है तो लगभग उसी हिसाब से संक्रमितों की संख्या बढ़ती गई।
भारत ने अब रोजाना 10 लाख से ज्यादा टेस्ट का लक्ष्य रखा है। आइये, जानते हैं कि देश इस लक्ष्य की तरफ कैसे बढ़ रहा है।
कोरोना वायरस
आबादी के लिहाज से भारत में टेस्ट की संख्या कम
देश में रोजाना लाखों टेस्ट होना बड़ी बात लग सकती है, लेकिन अगर इन्हें भारत की जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो यह संख्या काफी छोटी है।
भारत में हर 10 लाख लोगों पर 36 टेस्ट हो रहे हैं। अगर इनकी तुलना पड़ोसी देश पाकिस्तान से करें तो वहां आठ, दक्षिण अफ्रीका में 69 और इंग्लैंड में हर 10 लाख लोगों पर 192 टेस्ट किए जा रहे हैं।
इसे देखते हुए भारत को टेस्टिंग बढ़ाने की जरूरत है।
टेस्टिंग
कौन सा टेस्ट सबसे भरोसेमंद
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में टेस्टिंग को एक महत्वपूर्ण हथियार माना जाता है, लेकिन टेस्ट के प्रकार को लेकर विशेषज्ञ चिंतित हैं।
कोरोना वायरस की जांच के लिए RT-PCR टेस्ट को सबसे भरोसेमंद माना जाता है।
यह स्वैब सैंपल से जेनेटिक मैटेरियल को आइसोलेट कर लेता है, लेकिन यह काफी महंगा पड़ता है और इससे रिपोर्ट आने में भी घंटों का समय लगता है।
कई जगहों पर नतीजे आने में एक-दो दिन का समय लग जाता है।
कोरोना वायरस
देश में बढ़ रही एंटीजन आधारित टेस्टिंग
टेस्टिंग की गति बढ़ाने के लिए भारत में सस्ते और तेज नतीजे देने वाले रैपिड एंटीजन टेस्ट का सहारा लिया जा रहा है।
ये महज 15-20 मिनट में रिपोर्ट दे देते हैं, लेकिन इनकी विश्वनीयता को लेकर संदेह रहता है। कई मामलों में इनकी सटीकता 50 प्रतिशत से भी कम होती है।
इन्हें मुख्य तौर पर कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बने हॉटस्पॉट और स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच आदि के लिए इस्तेमाल किया जाना था।
टेस्टिंग
एंटीबॉडी टेस्ट से अलग होते हैं एंटीजन टेस्ट
यह बात ध्यान दिए जाने लायक है कि इन टेस्ट से सिर्फ यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति वर्तमान में संक्रमित है या नहीं।
ये एंटीबॉडी टेस्ट से अलग होते हैं, जिनसे पहले हुए संक्रमण का भी पता चल सकता है।
बीबीसी के मुताबिक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत, बेल्जियम और दक्षिण कोरिया में बने एंटीजन टेस्ट को मान्यता दी है। इनके अलावा भारत में किसी और टेस्ट से संक्रमण की जांच नहीं की जा सकती।
टेस्टिंग
इन वजहों से एंटीजन टेस्ट के नतीजों पर पड़ता है असर
इन तीन में जब एक की ICMR और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने जांच की तो उसके नतीजे संतोषजनक नहीं पाए गए थे।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी इन टेस्ट के बारे में बताते हुए कहते हैं कि एंटीजन टेस्ट आधे से ज्यादा संक्रमित मामले को पहचान पाने में असफल रहते हैं। इसके पीछे टेस्टिंग किट की गुणवत्ता, संक्रमित व्यक्ति में वायरस लोड और सैंपल में कमी आदि कारण हो सकते हैं।
गाइडलाइंस
एंटीजन में नेगेटिव आने पर ये हैं गाइडलाइंस
इस स्थिति को देखते हुए ICMR ने गाइडलाइंस जारी कर कहा है कि अगर कोई व्यक्ति एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव पाया जाता है, लेकिन उसमें कोरोना वायरस के लक्षण हैं तो उसे PCR टेस्ट कराना चाहिए ताकि संक्रमण की पहचान हो सके।
इसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने रैपिड टेस्ट में नेगेटिव आने पर PCR टेस्ट कराने की गाइडलाइंस जारी की हुई है।
टेस्टिंग
दिल्ली की तर्ज दूसरे राज्यों में भी शुरू हुए एंटीजन टेस्ट
देश में कई राज्य तेजी से रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ा रहे हैं।
ICMR ने 4 अगस्त को बताया कि देश में किए गए कुल टेस्ट में से लगभग 30 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट हुए हैं।
दिल्ली ने जून में सबसे पहले एंटीजन आधारित टेस्टिंग शुरू की थी। इसके बाद दूसरे राज्य भी इसी राह पर चल पड़े।
29 जून से 28 जुलाई के बीच दिल्ली में 5,87,590 टेस्ट किए गए थे, जिनमें से लगभग 63 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट थे।
टेस्टिंग
दिल्ली में अब PCR टेस्ट तेज करने पर जोर
दिल्ली सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव आए लोगों में से केवल 1 प्रतिशत और पॉजीटिव आए लोगों में से 18 प्रतिशत ही PCR टेस्ट कराने गए थे।
पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन जानकारों का मानना है कई संक्रमित लोगों की एंटीजन टेस्ट में पुष्टि नहीं हुई है।
अब सरकार ने टेस्टिंग केंद्रों से ज्यादा PCR टेस्ट करने को कहा है।
जानकारी
दूसरे राज्यों में भी बढ़ रहे एंटीजन टेस्ट
यही हाल कर्नाटक और तेलंगाना आदि दूसरे राज्यों का है, जहां सरकारें तेजी से एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ा रही है। इसी दौरान PCR टेस्ट की संख्या में लगातार गिरावट आती जा रही है।